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Ground Report: पलवल में विचार-मुद्दे गौण, जाति और पार्टी पर ही पड़ेंगे वोट

Ground Report: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से करीब 60 मील दूर हरियाणा के पलवल विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक मिजाज एनसीआर से बिल्कुल अलहदा है। पढ़िए डॉ. मीना कुमारी की खास रिपोर्ट…

चण्डीगढ़ हरियाणाOct 04, 2024 / 11:06 am

Shaitan Prajapat

Ground Report: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से करीब 60 मील दूर हरियाणा के पलवल विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक मिजाज एनसीआर से बिल्कुल अलहदा है। मुद्दे के नाम पर न तो कहीं विकास और राष्ट्रीय-प्रांतीय मतलों की चर्चा है और न ही विचारधारा की। बस पूरी सियासत घूम-फिर कर दो ही चीजों पर अटक जाती है। अपनी-अपनी दलीय प्रतिबद्धता और जाति। पलवल में इन दो आधार पर ही वोट पड़ेंगे। पिछले चुनाव में कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले में यहां भाजपा ने जीत हासिल की थी। इस बार भी मुख्य लड़ाई कांग्रेस के पुराने नेता करण सिंह दलाल और भाजपा के गौरव गौतम के बीच है। बसपा (कांशीराम) के हरित बैसला भी मैदान में हैं।

साफगोई है मतदाता का मिजाज

साफगोई से बात हरियाणा का खास मिजाज है जो राजनीतिक चर्चा करने पर पलवल में साफ झलकता है। आम मतदाता भी बेहिचक अपनी राजनीतिक पसंद का खुलेआम इजहार कर देता है। क्षेत्र के मतदाताओं का मानस टटोलने गांवों-कस्बों में घूमी तो बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले, जिन्होंने खुलेआम स्वीकार किया कि वे भाजपा को ही वोट देंगे। सोलड़ा से ख़ेमाराम और दरियासिंह का कहना था कि कुछ भी हो हम तो भाजपा को ही वोट देंगे। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं थी, जो यह कहते नजर आए कि उनका वोट पक्के तौर पर कांग्रेस को ही जाएगा। लोगों की इस जुदा-जुदा राय के पीछे उनकी दलीय प्रतिबद्धता के साथ जातीय आग्रह भी उतने ही प्रबल हैं।
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महिलाएं भी जागरुक

सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी पूरी तरह इसी आधार पर बंटी हुई हैं। कुसलीपुर गांव में जब मैंने महिलाओं से उनकी पसंद जानना चाहा तो वे आपस में ही उलझ पड़ीं और बहस लंबी हो गई। सत्तोदेवी, चेतराम पंडित व शिवचरण पंडित का कहना है था कि इस बार भाजपा का माहौल है। वहीं चूड़ियों की दुकान पर, कुसलीपुर की ओमवती जाट का कहना है कि इस बार कांग्रेस मजबूत लग रही है।
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शहरी क्षेत्र में ‘आप’ की चुनौती

पलवल सीट पर जातिगत समीकरण से ही परिणाम सामने आएगा। जाट, अनुसूचित जातियां, मुस्लिम और सिखों का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है तो दूसरी जातियां तमाम नाराजगी के बावजूद भाजपा के पक्ष में लामबंद हैं। जाटों में जजपा और अनुसूचित जातियों में बसपा की सेंधमारी भी है। शहरी क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के पैरों के नीचे से चुनावी जमीन खिसका रही है।

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