scriptGround Report: अमिताभ बच्चन ने KBC में पूछा सवाल, मच गया सियासी बवाल, देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार ‘चतरा’ का ये है चुनावी मुद्दा | Ground Report elections jharkhand Chatra lok sabha seat KBC amitabh bachchan | Patrika News
राष्ट्रीय

Ground Report: अमिताभ बच्चन ने KBC में पूछा सवाल, मच गया सियासी बवाल, देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार ‘चतरा’ का ये है चुनावी मुद्दा

Ground Report: कौन बनेगा करोड़पति (KBC) में अमिताभ बच्चन द्वारा पूछा गया यह सवाल अब सियासी बवाल बन गया है। प्रत्याशी प्रचार में कुंडली लेकर घूम रहे हैं, तो एक-दूसरे पर कटाक्ष करते हुए खनियात (खानदानी सजरा) पेश करने की चुनौती देते नहीं थकते। देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार चतरा में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ ही बनता जा रहा है। पढ़िए चतरा (झारखंड) से राजेन्द्र गहरवार की रिपोर्ट

नई दिल्लीMay 16, 2024 / 09:00 am

Akash Sharma

Jharkhand
Ground Report: लाख टके का सवाल, देश का ऐसा कौन सा संसदीय क्षेत्र है जहां से कोई भी स्थानीय व्यक्ति सांसद नहीं बना। सही जवाब है चतरा। कौन बनेगा करोड़पति (KBC) में अमिताभ बच्चन द्वारा पूछा गया यह सवाल अब सियासी बवाल बन गया है। प्रत्याशी प्रचार में कुंडली लेकर घूम रहे हैं, तो एक-दूसरे पर कटाक्ष करते हुए खनियात (खानदानी सजरा) पेश करने की चुनौती देते नहीं थकते। देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार चतरा में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ ही बनता जा रहा है। यही वजह है कि प्रत्याशी धारणा की लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि चतरा में यह मुद्दा दशकों से है, इसके नाम पर संयुक्त प्रत्याशी भी खड़ा करने की कोशिश की गई। लेकिन मुख्य दलों के आगे स्थानीय प्रत्याशी जमानत नहीं बचा पाए। चतरा जिला 1991 में अस्तित्व में आया पर कमिश्नरी यहां ब्रिटिश राज से थी और राजा राममोहन राय यहां पेशकार और रजिस्ट्रार के तौर पर सेवाएं दी थी। यहीं से वे नौकरी छोडक़र आजादी के आंदोलन और सामाजिक सुधार के अभियान में जुटे थे।
दरअसल, चतरा लोकसभा सीट पर बाहरी प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा है। निर्दलीय से लेकर कांग्रेस, जनता दल, भाजपा, राष्ट्रीय जनता दल ने जीत दर्ज की, लेकिन किसी भी दल ने स्थानीय प्रत्याशी को नहीं उतारा। सांसद सुनील कुमार सिंह इस सीट से दो बार चुने गए, वे मूलत: बिहार के हैं, भाजपा ने उन्हें 2014 और 2019 में मैदान में उतारा और बड़ी जीत दर्ज की। पार्टी ने इस बार उनकी जगह कालीचरण सिंह पर दांव लगाया है। इसके पीछे तर्क यही है कि भाजपा कार्यकर्ता स्थानीय व्यक्ति को टिकट दिए जाने की मांग कर रहे थे। कालीचरण मुख्यधारा के दलों की ओर से पहले प्रत्याशी हैं, जो चतरा लोकसभा सीट के ही निवासी हैं। भाजपा इसे भुनाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। वहीं, इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस के पूर्व मंत्री कृष्णानंद त्रिपाठी मैदान में हैं। वह मूलत: पलामू जिले के निवासी हैं, लेकिन चुनाव में वह पुश्तें गिनवा रहे हैं, जिनका रिश्ता यहां से बता रहे हैं और भाजपा को चुनौती दे रहे हैं कि प्रत्याशी का खातियान लेकर आएं तो पता चल जाएगा कि कौन चतरा का मूल निवासी है।

‘स्थानीय बनाम बाहरी

राजद के पूर्व नेता नागमणि इस बार बसपा की टिकट पर मैदान में हैं। वे यहां से सांसद भी रह चुके हैं। भद्रकाली धार्मिक क्षेत्र ईंटखोरी के विजय यादव बताते हैं कि मुद्दा केवल स्थानीय प्रत्याशी भर ही नहीं है। विकास और पलायन चतरा के नजरिए से बड़ा मुद्दा है। ऐसी ही बात चतरा के अधिवक्ता दीपक कुमार तिवारी भी कहते हैं। बिहार से झारखंड में घुसते ही जिस खराब सडक़ का सामना होता है वह विकास की कहानी बयां कर देता है। पिछड़ेपन की बानगी यह कि चतरा नगरपालिका क्षेत्र में कहीं स्ट्रीट लाइट नहीं दिखती, बिजली की आंख मिचौली ऐसी कि पता ही नहीं चलता कि कब बिजली बंद हो जाएगी। होटल मैनेजर रिंकू कहते हैं कि इस सीट पर भाजपा का दबदबा है, तो अशोक प्रधान कहते हैं कि कालीचरण उम्मीदवार हैं पर असली चेहरा तो मोदी ही हैं, वही नैया पार लगाएंगे। लेकिन विजय यादव कहते हैं कि मुकाबला इतना आसान नहीं है, जिस तरह से जातियों की गोलबंदी की कोशिश की जा रही है, उससे परिणाम कुछ भी आ सकता है।
opium cultivation

नक्सल के बाद अब नशे की खेती की चुनौती

चतरा झारखंड का प्रवेश द्वार माना जाता है और इस राज्य में नक्सली गतिविधियों की शुरूआत इसी जिले से हुई। सेवानिवृत्त शिक्षक सत्येंद्र नारायण सिन्हा बताते हैं यह पहला इलाका था जब नक्सली गतिविधियों से भारी हिंसा हुई और चतरा में सीआरपीएफ की बटालियन तैनात की गई। अब जंगली इलाके में अफीम की खेती का चलन बढ़ा है। अधिवक्ता दीपक बताते हैं तीन सौ से अधिक लोग चतरा से लेकर राजस्थान की जेल में बंद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चतरा जिले की सभा में इस पर चिंता जता चुके हैं। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की नजर यादव वोटरों पर है। इसीलिए प्रधानमंत्री के साथ ही भाजपा ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की हंटरगंज में सभा कराई थी। वहीं, कांग्रेस तेजस्वी यादव को लाने की कोशिश में जुटी है।

झगड़े का दर्द गया पर गांठ अब भी बाकी

लोकसभा चुनाव से पहले ‘इंडिया’ गठबंधन ने एकजुटता दिखाने के लिए सभी सीटों और जिलों में उलगुलान (सम्मेलन) आयोजित किया था। लेकिन यह चतरा में उल्टा पड़ गया। छोटे से विवाद में नौबत मारपीट तक की आ गई और कांग्रेस के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं को चोट आई थी। यह खींचतान सीट बंटवारे और टिकट तय होने तक चलती रही। कांग्रेस के प्रत्याशी का नाम आने से पहले राजद की ओर से तीखी बयानबाजी हुई। बाद में समझौता हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी त्रिपाठी ने सार्वजनिक मंच से इंडिया गठबंधन के सहयोगियों खासतौर से राजद नेताओं से माफी मांगी थी। गले मिलने का सिलसिला चला पर दिल भी मिले हैं, ऐसा नजर नहीं आ रहा।

गंजू, भोगता, यादव निर्णायक, मंत्री नदारद

चतरा संसदीय सीट में सबसे अधिक आबादी भोगता समाज की है। वहीं, गंजू और यादव भी निर्णायक स्थिति में हैं। भोगता समाज के लोगों ने टिकट के लिए लामबंदी भी की थी और बाद में ओबीसी की एकजुटता के नाम पर दबाव बनाने की कोशिश भी हुई। लेकिन भाजपा और कांग्रेस भूमिहार और ब्राम्हण सवर्ण प्रत्याशियों पर ही दांव चला। इससे इस समाज में अनिश्चितता की स्थिति है। कांग्रेस को लालू और तेजस्वी यादव के जरिए यादवों को साधने की आस है। लेकिन उसकी असली चिंता राजद कोटे से महागठबंधन के झारखंड के मंत्री और चतरा विधायक सत्यानंद भोगता के रुख को लेकर है। जो अभी तक कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में नहीं आए हैं। भाजपा ने अपने बागी पूर्व विधायक जयप्रकाश भोगता को समझाकर नामांकन वापस करा लिया है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन दाखिल कर चर्चा में आए थे त्रिपाठी

पलामू से आकर चतरा में ताल ठोंकने वाले केएन त्रिपाठी धमाकेदार अंदाज के लिए जाने जाते हैं। एयरफोर्स की नौकरी छोडक़र कांग्रेस में आए त्रिपाठी चार चुनाव लडक़र एक बार विधायक पलामू जिले की डाल्टनगंज सीट से और फिर राज्य में मंत्री बने थे। उस दौरान रिवाल्वर निकालने के उनके चर्चे अब भी झारखंड में मशहूर हैं। लेकिन खास चर्चा 2022 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के दौरान मिली जब उन्होंने नामांकन भर दिया। पर्चे की जांच के दौरान उनकी तलाश होती रही पर मिले नहीं। अंतत: तकनीकी कारणों से फार्म निरस्त कर दिया गया। वहीं, भाजपा के कालीचरण भाजपा संगठन से लम्बे समय से जुड़े हुए हैं और वर्तमान में वे प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।

बना रहेगा सवाल या टूटेगा रिवाज

चतरा सीट से बाहरी की जीत का सवाल बना रहेगा या रिवाज टूटेगा इसका जवाब तो 4 जून को मतगणना के बाद ही मिलेगा। चतरा लोकसभा में तीन जिलों की पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें चतरा की दो चतरा व सिमरिया, लातेहार की दो मनिका, लातेहार और दुमका की पनकी विधानसभा सीट शामिल हैं। इनमें दो सीट भाजपा और तीन पर इंडिया गठबंधन के घटक राजद, कांग्रेस, झारखंड मुक्तिमोर्चा काबिज है।

चतरा लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

  • 95 फीसदी आबादी गांवों में रहती है
  • 05 प्रतिशत आबादी शहर में है
  • 28 प्रतिशत भोगता एससी समुदाय
  • 21.82 फीसदी एसटी इनमें ईसाई धर्म मानने वाले भी
  • 13 प्रतिशत मुस्लिम आबादी
  • 03 प्रतिशत ईसाई
ये भी पढ़ें:  न अपना घर, न गाड़ी, न जमीन, कैश सिर्फ 52 हजार, जानिए कितनी संपत्ति के मालिक हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 

Hindi News / National News / Ground Report: अमिताभ बच्चन ने KBC में पूछा सवाल, मच गया सियासी बवाल, देश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार ‘चतरा’ का ये है चुनावी मुद्दा

ट्रेंडिंग वीडियो