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Ground Report : कांग्रेस के दिग्गजों ने डाला डेरा, जीत का बना हुआ है भरोसा, लेकिन सता रहा है ये डर

Ground Report : रायबरेली के मतदाताओं ने विकास के मुद्दे और अन्य आकांक्षाओं को परे रखकर गांधी परिवार का दामन नहीं छोड़ा। इस परिवार के प्रति यहां के मतदाताओं में बड़ी आस्था है। पढ़िए विकास जैन की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीMay 15, 2024 / 10:38 am

Shaitan Prajapat

Ground Report : उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 65 किलोमीटर दूर रायबरेली एक ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जहां के मतदाताओं ने विकास के मुद्दे और अन्य आकांक्षाओं को परे रखकर गांधी परिवार का दामन नहीं छोड़ा। इस परिवार के प्रति यहां के मतदाताओं में बड़ी आस्था है। जहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां करारी शिकस्त झेलनी पड़ती है, वहीं मतदाता लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार को अपने सिर माथे पर बैठाता आया है। 1990 के दशक में जब यहां से गांधी परिवार के किसी भी सदस्य ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा तो दो बार मतदाताओं ने भाजपा को जीत दिला दी। ऐसी खासियत वाले इस लोकसभा क्षेत्र का मिजाज जानने मैं लखनऊ से रायबरेली पहुंचा। सफर के दौरान मैंने सड़कके दोनों ओर ही नहीं, बल्कि अंदरूनी गांवों में भी लोगों से बातचीत की तो मतदाताओं में इस परिवार के प्रति अटूट आस्था की साफ झलक दिखी।

देशभर से आए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने डाला डेरा

चौंकाने वाली बात यह है कि कांग्रेस के इस परंपरागत गढ़ में भी इस बार राहुल की जीत सुनिश्चित करने के लिए देशभर से आए कांग्रेस के दिग्गज नेता डेरा डाले हुए हैं। माहौल से साफ नजर आया कि कांग्रेसियों में विश्वास तो है, लेकिन कहीं न कहीं अमेठी की पिछली हार से कांग्रेस और खुद राहुल गांधी भी जोखिम नहीं लेना चाहते। भाजपा ने यहां से राहुल गांधी के सामने दिनेश प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा प्रत्याशी पूर्व में कांग्रेस में रह चुके हैं और अभी उत्तरप्रदेश सरकार में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री हैं। वे इस बार राहुल को चुनौती देते नजर आ रहे हैं। लखनऊ और रायबरेली के बीच बछरावां से तीन किलोमीटर आगे हसनगंज में रामप्रकाश और इशरत ने गांधी परिवार के काम गिनाने शुरू किए। वे तय मानकर चल रहे थे कि इस बार भी यहां बदलाव नहीं होगा। मुख्य मार्ग से अंदर पीठन गांव में अनुज त्यागी, सुनील और ओमकार पहले तो कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए, फिर बोले इस बार कुछ समझ में नहीं आ रहा। गांधी परिवार में कुछ तो खास बात होगी कि लोग हर बार उन्हें ही चुनते आ रहे हैं।

भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही माहौल

रायबरेली के कुंदनगंज में कैलाश, वीरेन कुमार और राहुल ने कहा कि इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही माहौल है। ये तीनों ही इस बार बदलाव को लेकर आश्वस्त दिखे। महाराजपुरा में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सभा में शामिल होने आए लोगों ने कहा कि पहले इनकी माताजी चुनाव लड़ती थी, अब इनका बेटा लड़ रहा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका समर्पण गांधी परिवार के साथ ही है। अब तक के विकास के सवाल पर श्यामकिशोर ने कहा कि लोकसभा में लोग गांधी परिवार को भेजते हैं, विकास का काम तो स्थानीय सरकारों का है। बातचीत में कुछ जगह लोग राहुल के रायबरेली के साथ वायनाड से चुनाव लडऩे को लेकर आशंकित नजर आए। उनका मानना था कि राहुल कहीं यह सीट नहीं छोड़ दें।

जीत का अंतर कम होने से चिंता

सोनिया गांधी यहां से चार बार जीत चुकी हैं। फिरोज गांधी भी यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं। गत 2019 के चुनाव में सोनिया ने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 1.67 लाख से अधिक मतों से हराया था। कांग्रेस के लिए चिंता की बात यही है कि 2014 में सोनिया गांधी की जीत का अंतर 3.52 लाख था, जो पांच वर्ष में घटकर आधा ही रह गया। इस बार सोनिया की बजाय राहुल मैदान में हैं और वे गत चुनाव में अमेठी सीट गंवा चुके हैं। 1967 से 1977 तक यह सीट इंदिरा गांधी के पास थी। 2004 से 2024 में सोनिया के राज्यसभा सदस्य बनने तक यह सीट उनके पास रही। दिग्गज बिछा रहे बिसात प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस के रणनीतिकार यहां कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में जोरशोर से जुटे हुए हैं। पिछले चुनाव में अमेठी विजय के बाद से रायबरेली पर नजर जमाए बैठी भाजपा भी अपनी तैयारियों में पीछे नहीं है। इसलिए अंतिम क्षणों में राहुल गांधी को रायबरेली सीट से लड़ाने का निर्णय कांग्रेस नेतृत्व ने लिया। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी रायबरेली में लगाया है। यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चौथे चरण का मतदान समाप्त होने के साथ यहां प्रचार परवान चढ़ने लगा है।

नाराज हुए अमित शाह

यह भी सामने आया है कि रायबरेली में भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह के चुनाव कैंपेन में स्थानीय विधायकों की दूरी को लेकर अमित शाह ने नाराजगी जताई है। उन्होंने हाल ही में रायबरेली का दौरा किया था और वे अपने दौरे के बीच में ही दिनेश प्रताप सिंह के साथ सपा विधायक मनोज कुमार पांडे के घर पहुंचे। पांडे ने राज्यसभा चुनाव में सपोर्ट किया था। रायबरेली से बीजेपी विधायक अदिति सिंह और ऊंचाहार से सपा विधायक मनोज कुमार पांडे के बीच आपसी मतभेद लंबे समय से सामने आ रहे हैं। विधायकों का कहना है पांडे ने औपचारिक तौर पर भाजपा ज्वाइन की है। दिनेश प्रताप सिंह और पांडे के बीच पुरानी अदावत भी रही है। अदिति सिंह प्रमुख राजपूत चेहरा है और रायबरेली से पांच बार विधायक रहे अखिलेश सिंह की बेटी हैं। अदिति सिंह भी चुनावी अभियान से गायब सी दिख रही हैं। हाल ही उनके एक ट्वीट को लेकर भी चर्चा है।

1977 में राजनारायण ने इंदिरा को हराया

आपातकाल के बाद 1977 में जनता पार्टी के राजनारायण ने इंदिरा गांधी को चुनाव हराया था। दो बार भाजपा भी जीती। 1996 के चुनाव में अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाकर पहली बार कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई थी। दो वर्ष बाद 1998 में दोबारा लोकसभा चुनाव में भी अशोक सिंह ने फिर यह सीट भाजपा की झोली में डाली। मौजूदा चुनाव में कांग्रेस व सपा का गठबंधन है। रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं। इनमें सरेनी, ऊंचाहार, बछरावां, हरचंदपुर सीट पर सपा के विधायक हैं। सदर सीट भाजपा के पाले में है। ऊंचाहार से सपा के टिकट पर विधायक बने मनोज पांडेय अब भाजपा के खेमे में हैं।
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