लोकेशन जांच के बाद ही आएगा OTP
जानकारी के मुताबिक, जो सिस्टम विकसित किया जा रहा है, उसमें कस्टमर के रजिस्टर्ड पते के साथ उसके सिम की लोकेशन और ओटीपी किस जगह पर मंगाया गया है, इन सभी का मिलान किया जाएगा। इनके बीच किसी भी तरह का अंतर पाए जाने पर ग्राहक को रियल टाइम में एक अलर्ट भेजा जाएगा कि उसके साथ ठगी हो सकती है। योजना के मुताबिकस टेलीकॉम कंपनियों की मदद से ग्राहक का डेटाबेस जांच कर ही ओटीपी भेजा जाएगा।
सिम की लोकेशन से मिलान
रिजर्व बैंक ने भी साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए किसी भी डिजिटल भुगतान लेनदेन के लिए अतिरिक्त ऑथेंटिकेशन पर जोर दिया है। इसका कारण यह है कि साइबर अपराधी यूजर्स को झांसे में लेकर धोखे से ओटीपी को अपने डिवाइस पर ले लेते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि फ्रॉड को रोकने के लिए दो विकल्पों पर काम किया जा रहा है। कोशिश है कि ओटीपी की डिलिवरी की जगह और ग्राहक के सिम की लोकेशन में किसी तरह का अंतर मिलने पर या तो डिवाइस पर अलर्ट पॉपअप किया जाए या ओटीपी को ही पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया जाए। इसकी वजह से अगर साइबर अपराधियों के हाथ पेमेंट करने के लिए ओटीपी लग भी जाएगा तो भी वह फ्रॉड नहीं कर पाएगा।