मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया ऐलान
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के आदिवासी और दलित 50 की उम्र के होते ही पेंशन लेने के हक़दार हो जाएंगे। शिबू सोरेन द्वारा बनाई गयी पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सरकार के चार वर्ष पूरे होने के मौके पर रांची में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने यह घोषणा की। सोरेन ने कहा, “सरकार ने आदिवासियों और दलितों को 50 की उम्र होने पर पेंशन लाभ प्रदान करने का फैसला किया है। उनमें मृत्यु दर अधिक है और उन्हें 60 वर्ष के बाद नौकरियां भी नहीं मिलतीं। यह फैसला विशेषरूप से राज्य के कमजोर आदिवासी समूहों के लिए बेहद लाभकारी साबित होगा।”
सोरेन ने किया दावा
सीएम सोरेन ने आगे दावा किया कि पहले निर्धन वर्ग के लोगों के हक़ को मारा जाता था। लेकिन उनकी सरकार ने जनहित में कई अहम फैसला लिया। सोरेन ने बताया कि वर्ष 2000 में झारखण्ड राज्य बनने के बाद से 20 वर्षों में सिर्फ 16 लाख लोगों को पेंशन लाभ मिला, लेकिन उनकी सरकार ने लाभार्थियों की संख्या बढ़ा दी है और अब यह 36 लाख लोगों को पेंशन प्रदान करती है। हेमंत सोरेन ने कहा, “अब हम एक कदम आगे जा रहे हैं और आदिवासी और दलित लाभार्थियों के लिए आयु सीमा को घटाकर 50 वर्ष कर रहे हैं। वर्तमान में राज्य एक यूनिवर्सल मासिक पेंशन योजना चला रहा है और इसके तहत वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग व्यक्तियों, अकेली महिलाओं, विधवाओं को पेंशन मिल रहा है। इसमें लगभग 36 लाख लाभार्थी शामिल हैं।”
36 लाख लोगों को मिली पेंशन
सोरेन ने रांची में आयोजित कार्यक्रम में कहा, “हमारी सरकार के चार वर्षों में हमने 60 साल से अधिक उम्र के 36 लाख लोगों को पेंशन प्रदान की है। इनमें 18 साल से अधिक उम्र की विधवाएं और शारीरिक रूप से अक्षम लोग शामिल हैं।” सरकार द्वारा जनहित में लाई जा रही योजनाओं का जिक्र करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा, “दूर-दराज के इलाकों में हमारे बच्चों को अपना भोजन पकाना पड़ता है और उसे कॉलेजों तक ले जाना पड़ता है। वे पढ़ाई के लिए अपना बहुमूल्य समय बर्बाद करते हैं। अब, हम रसोइयों को काम पर रखेंगे ताकि वे अपने संस्थानों में अपना भोजन प्राप्त कर सकें और खाना पकाने के बारे में चिंता न करें।”