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न स्कर्ट, न पैंट, इस स्कूल में स्टूडेंट्स पहनेंगे जेंडर न्यूट्रल यूनिफॉर्म

पूर्व प्रधानाध्यापिका सी राजी के मुताबिक, यह स्कूल अच्छी सोच वाला है। जब हम स्कूल में नीति लागू करने के लिए कई कारकों के बारे में बात कर रहे थे तो लैंगिक समानता मुख्य विषय था। इसलिए कॉमन ड्रेस कोड का ख्याल दिमाग में आया।

Nov 20, 2021 / 02:22 pm

धीरज शर्मा

नई दिल्ली। लैंगिक समानता ( Gender Equality ) यानी जेंडर इक्विलिटी को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। देशभर में कई लोग इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। कुछ ऐसा ही कदम केरल ( Kerala ) के एर्नाकुलम में देखने को मिला। जहां वलयनचिरंगारा में एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में जेंडर इक्विलिटी यानी लैंगिक समानता का एक बेजोड़ उदाहरण पेश किया।
इस स्कूल में लड़के हों या लड़कियां.. दोनों के लिए एक जैसे ड्रेस कोड लागू हैं। यहां स्टूडेंट्स जेंडर न्यूट्रल यूनिफॉर्म ( Gender Neutral Uniform ) पहनते हैं। निर्णय को कुछ ग्रामीणों, शिक्षकों और छात्रों के माता-पिता के नेतृत्व में एक शांत क्रांति के परिणाम के रूप में देखा जा रहा है – वे इसे ‘तीन-चौथी क्रांति’ कहते हैं।
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स्कूल की तत्कालीन प्रधानाध्यापिका ने साल 2018 में ऐसी यूनिफॉर्म की नीति पेश की थी, इस वर्दी में स्टूडेंट्स शर्ट और तीन-चौथाई पतलून पहनते हैं। इससे उन्हें किसी भी तरह की कोई गतिविध करने में परेशानी नहीं होती है और सभी बच्चे इससे बेहद खुश भी हैं।
पूर्व प्रधानाध्यापिका सी राजी के मुताबिक, यह स्कूल अच्छी सोच वाला है। जब हम स्कूल में नीति लागू करने के लिए कई कारकों के बारे में बात कर रहे थे तो लैंगिक समानता मुख्य विषय था। इसलिए वर्दी का ख्याल दिमाग में आया।
उन्होंने बताया कि, जब मैंने सोचा था कि इसके साथ क्या करना है, फिर मैंने देखा कि जब स्कर्ट की बात आती है तो लड़कियों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बदलाव के विचार पर सभी के साथ चर्चा की गई थी।
उस समय 90 फीसदी माता-पिता ने इसका समर्थन किया था। बच्चे भी खुश थे। मुझे बहुत खुशी और गर्व महसूस होता है कि अब इस पर चर्चा हो रही है।

लड़के हों या लड़की, सभी को समानता का अधिकार
स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एनपी अजय कुमार का कहना है कि छात्रों और अभिभावकों के मन में लैंगिक समानता होनी चाहिए।
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एक सदी पुराने स्कूल की नई सोच
उन्होंने कहा कि यह 105 साल पुराना स्कूल है और यहां की प्रबंधन समिति इसका बेहतर संचालन करती आई है। इसलिए जब यहां कॉमन ड्रेस कोड का निर्णय लिया गया तो अकादमिक समिति के इस निर्णय पर किसी का विरोध नहीं था और सबने इस कदम का स्वागत किया। यानी एक सदी पुराने स्कूल की नई सोच का सभी ने ह्दय से स्वागत किया।

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