इसलिए व्योममित्र को पहले स्पेस में भेज रहा इसरो
व्योममित्र अंतरिक्ष यात्रियों की तरह काम करेगी। यह गगनयान के क्रू मॉड्यूल को पढ़ेगी और जरूरी निर्देशों को समझेगी। इसके साथ ही यह ग्राउंड स्टेशन में मौजूद वैज्ञानिकों और मिशन की टीम से सम्पर्क कर बात करेगी। इस मानवरहित मिशन के नतीजों से ही इंसानों के अंतरिक्ष में जाने का रास्ता खुलेगा। इसके पीछे का उद्देश्य मानव शरीर पर अंतरिक्ष यात्रा के प्रभावों पर महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करना है। इससे वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित और आरामदायक उड़ान के लिए अंतरिक्ष कैप्सूल को डिजाइन करने में मदद मिलेगी। गगनयान मिशन, जो कि भारत का मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने का पहला प्रयास है, अगले साल के लिए निर्धारित है। लेकिन उससे पहले दो मानवरहित तैयारी मिशन, गगनयान-1 (G1) और गगनयान-2 (G2) उड़ाए जाएंगे, पहला इस साल के अंत में होगा। दिसंबर में लॉन्च होने वाला G1 मुख्य रूप से अंतरिक्ष यान के सुरक्षित पुनः प्रवेश और समुद्र में गोता लगाने पर उसके अभिविन्यास का परीक्षण करेगा। G2 मिशन व्योममित्र को मानव-रेटेड प्रेशराइज्ड क्रू मॉड्यूल के अंदर ले जाएगा, जहां अंतरिक्ष यात्री वास्तविक उड़ान में बैठे होंगे। रोबोट को उन सभी मापदंडों को रिकॉर्ड करने का काम सौंपा जाएगा जिनका उपयोग मनुष्यों पर उड़ान के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा।