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Fundamental Rights: अभिव्यक्ति की आजादी में विचार ग्रहण करना भी शामिल, कोर्ट ने लेख प्रकाशन पर रोक हटाई

Fundamental Rights: अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Expression) से जुड़े एक अहम आदेश में दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 (Article 19 And 21) के तहत विचार की स्वतंत्रता में विचार प्रकट करने के साथ विचार ग्रहण करने का मौलिक अधिकार भी शामिल है।

नई दिल्लीOct 26, 2024 / 09:12 am

Akash Sharma

Freedom of Speech

Fundamental Rights: अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Expression) से जुड़े एक अहम आदेश में दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 (Article 19 And 21) के तहत विचार की स्वतंत्रता में विचार प्रकट करने के साथ विचार ग्रहण करने का मौलिक अधिकार भी शामिल है। नागरिकों के विचार ग्रहण करने के इस मौलिक अधिकार के लिए जरूरी है कि पसंद के विचार चुनने के लिए उसे सभी तरह के विचारों को जानने का विकल्प मिले। जिला अदालत ने इस टिप्पणी के साथ समाचार एजेंसी रायटर्स के एक लेख के प्रकाशन पर लगाई रोक हटा ली। दिलचस्प यह है कि इसी जिला अदालत ने अंतरिम निषेधाज्ञा के जरिये रोक लगाई थी जिसका औचित्य नहीं मिलने पर अंतिम आदेश में रोक हटा ली गई।

संविधान नागरिकों की विचार की स्वतंत्रता की रक्षा करता है…

अतिरिक्त जिला जज राकेश कुमार सिंह ने आदेश में कहा कि संविधान नागरिकों की विचार की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। इसमें न केवल विचार की अभिव्यक्ति शामिल है, बल्कि मन में विचार रखना भी शामिल है। जब हर तरह की सामग्री लोगों के उपभोग के लिए उपलब्ध होगी, तब आम जनता उचित निर्णय ले सकेगी कि वह अपने मन में कौन सा विचार रखना चाहते हैं। यदि अदालत लेख के प्रकाशन पर रोक लगाती है तो नागरिक मन में रखने के लिए वह विचार नहीं जान पाएगा। इसका नागरिक के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि कुछ मामले नागरिकाें की जानकारी से बाहर रखे जा सकते हैं जिनमें यह देखना होगा कि क्या यह नागरिक की विचार प्रक्रिया के लिए हानिकारक होगा अथवा ऐसी जानकारीका आम जनता से कोई सरोकार नहीं है।

सूचना के प्रसार के लिए प्रकाशन

कोर्ट ने समाचार एजेंसी की इस दलील पर विश्वास किया कि प्रकाशित सामग्री को ठीक से सत्यापित किया है और किसी यक्ति या संस्था को बदनाम करने की मंशा के बिना केवल जनता के बीच सूचना के प्रसार के लिए लेख प्रकाशित किया है। कोर्ट ने कहा कि केवल मुकदमा दायर किए जाने के आधार पर प्रेस की स्वतंत्रता के खिलाफ निषेधाज्ञा जारी नहीं कर सकते।

हैकिंग से डेटा चुराने की थी खोजी रपट

यह मामला एक भारतीय कंपनी की ओर से हैकिंग के जरिये देश की बड़ी हस्तियों का डेटा चुराने से संबंधित था जिसकी खोजी रपट रायटर्स ने प्रकाशित की थी। संबंधित कंपनी के मानहानि के केस पर अदालत की अंतरिम रोक के बाद समाचार एजेंसी नेअपनी खोजी रपट काे वैबसाइट से हटा लिया था लेकिन अंतिम आदेश में यह रोक हटने के बाद पुन: प्रकाशित किया।
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