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पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति के बीच द्विपक्षीय वार्ता आज, व्यापार-निवेश सहित इन मुद्दों पर होगी चर्चा

PM Modi, French President Macron : साथ चलें, दुनिया बदलें : पीए मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों की आज जयपुर में द्विपक्षीय बातचीत, सहयोग बढऩे के आसारदोस्ती को नए आयाम, साझेदारी के नए द्वार।

Jan 25, 2024 / 07:28 am

Shaitan Prajapat

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फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के गुरुवार को शुरू होने वाले भारत दौरे से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम मिलने के साथ विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने के कुछ और द्वार खुलने के आसार हैं। मैक्रों का दौरा जयपुर से शुरू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके साथ रहेंगे। यहां से मैक्रों दिल्ली जाएंगे। वह भारत के 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। पांच महीने में मैक्रों का यह दूसरा भारत दौरा है। पिछले साल वह नई दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए थे।

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मैक्रों का दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक रहने वाला है। जयपुर में वह मोदी से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए रक्षा सौदा हो सकता है। भारत और फ्रांस मिलिट्री इंडस्ट्रियल पार्टनरशिप पर भी विचार कर रहे हैं। इसमें मिलिट्री मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती दी जाएगी। संयुक्त रक्षाभ्यास बढ़ाने को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत हो सकती है। मैक्रों के साथ डेलिगेशन में कई मंत्री, विज्ञान और संस्कृति से जुड़े सीईओ शामिल होंगे। मैक्रों का दौरा इस लिहाज से भी अहम है कि भारत और फ्रांस ने पिछले साल रणनीतिक साझेदारी की रजत जयंती मनाई है। इस साझेदारी के तहत ढाई दशक के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी के साथ संस्कृति के क्षेत्र में आपसी सहयोग काफी बढ़ा है। भारतीय सेना को आधुनिकतम साजो-सामान से लैस करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसे देखते हुए फ्रांस के साथ रक्षा सहयोग में और बढ़ोतरी के आसार हैं।


हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी चर्चा के आसार
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ता दबदबा भारत और फ्रांस के लिए चिंता का विषय है। फ्रांस मानता है कि हिंद-प्रशांत और दक्षिण चीन सागर में चीन आक्रामक हो रहा है। इन क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन सुनिश्चित करने की जरूरत है। फ्रांस हिंद-प्रशांत को खुले और समावेशी क्षेत्र के तौर पर संरक्षित रखना चाहता है, जो किसी भी दबाव से मुक्त हो। भारत का भी जोर है कि प्रमुख समुद्री मार्ग मुक्त रहने चाहिए। मैक्रों की यात्रा के दौरान इस संवेदनशील मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है। चीन की मनमानी के खिलाफ साझा रणनीति की रूपरेखा तैयार होने के आसार हैं।

व्यापार-निवेश में बढ़ती साझेदारी
* भारत-फ्रांस के बीच रक्षा क्षेत्र के अलावा व्यापार और निवेश में साझेदारी भी लगातार बढ़ रही है। फ्रांस 2021-22 में 12.42 अरब डॉलर के सालाना व्यापार के साथ भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है।
* भारत के लिए फ्रांस सबसे बड़े एफडीआइ निवेशकों में से एक है। वित्त वर्ष 2022-23 में उसने 659.77 मिलियन डॉलर का निवेश किया।
* भारत में फ्रांस की करीब एक हजार कंपनियां हैं, जिनमें तीन लाख से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। फ्रांस में भारत की करीब 130 कंपनियां हैं। इनमें फार्मा, सॉफ्टवेयर, स्टील और प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं।
* भारत और फ्रांस के बीच डिजिटलीकरण सहयोग का एक और उभरता क्षेत्र है। पिछले साल जुलाई में एफिल टावर पर यूपीआइ लॉन्च किया गया था।

मोदी मेरे दोस्त…
भारत और फ्रांस की दोस्ती की बुनियाद दोनों के बीच गहरे आर्थिक और भू-रणनीतिक संबंध हैं। मैक्रों अक्सर मोदी को ‘मेरे दोस्त’ कहकर बुलाते हैं। मैक्रों के 2017 में सत्ता में आने के बाद मोदी चार बार फ्रांस का दौरा कर चुके हैं। पिछले साल जुलाई में फ्रांस दौरे से पहले वहां के अखबार ला इको को दिए इंटरव्यू में मोदी ने फ्रांस को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत का रणनीतिक साझेदार बताते हुए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को लेकर उनके और मैक्रों के विचार मिलते हैं।

वहां चाट-समोसा-डोसा, यहां फ्रेंच टोस्ट-फ्राइज
भारत और फ्रांस के खान-पान में भिन्नताएं हैं तो कुछ समानताएं भी हैं। भारत में फ्रांस के फ्रेंच फूड, क्रोइसैन, फ्राइज, फ्रेंच टोस्ट, मैकरून और फ्रेंच ड्रेसिंग (टमाटर की चटनी) जैसे व्यंजन लोकप्रिय है। इसी तरह फ्रांस में चिकन टिक्का, बटर चिकन, बिरयानी, चाट, समोसा, इडली, डोसा, मलाई कोफ्ता, दाल मखनी, नान और पालक पनीर जैसे भारतीय व्यंजन चाव से खाए जाते हैं।

जयपुर बनाम पेरिस
फ्रांस की राजधानी पेरिस को दुनिया के सबसे सुंदर शहरों में गिना जाता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर को भारत का पेरिस कहा जाता है, क्योंकि पेरिस की तरह यहां भी खूबसूरत प्राचीन इमारतें हैं, जो विशेष स्थापत्य और वास्तु कला के लिए जानी जाती हैं।

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