सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बहस पर जोर दिया था। कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर चर्चा की जरूरत है क्योंकि देश के कल्याण का मसला है।
अदालत ने कहा कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों का जनता से मुफ्त की रेवड़ियों का वादा और वेलफेयर स्कीम के बीच अंतर करने की जरूरत है।
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CJI ने राजनीतिक दलों से पूछा था कि मुफ्त को कैसे परिभाषित किया जाए? अदालत इस बात पर भी गौर करेगी कि क्या उन चुनावी वादों को रोका जा सकता है, जिन्हें सरकार का समर्थन नहीं है।
बीजेपी की ओर से दायर याचिका को लेकर कई राजनीतिक दलों ने विरोध दर्ज कराया है। इसमें आम आदमी पार्टी , डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख रूप से शामिल हैं।
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