धोखाधड़ी वाले लेनदेन के लिए बैंक जिम्मेदार
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि जहां तक ऐसे अनधिकृत और धोखाधड़ी वाले लेनदेन का सवाल है, यह बैंक की जिम्मेदारी है। बैंक को सतर्क रहना चाहिए। बैंक के पास ऐसे अनधिकृत और धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए आज उपलब्ध सबसे अच्छी तकनीक है।
किसी के साथ शेयर नहीं करें ओटीपी
यह एक चेतावनी भी थी, हम खाताधारकों से भी अपेक्षा करते हैं कि वे बेहद सतर्क रहें। यह देखें कि ओटीपी किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं किए जाते हैं। किसी दिए गए परिस्थिति में और कुछ मामलों के तथ्यों और परिस्थितियों में ग्राहक को भी किसी न किसी तरह से लापरवाही बरतने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यह भी पढें-
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सोमवार को अपलोड किए गए 3 जनवरी के आदेश में, पीठ ने सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक को एक ग्राहक को मुआवजे के रूप में 94,204 रुपये और 80 पैसे का भुगतान करने का निर्देश दिया।
एसबीआई की याचिका खारिज
एकल न्यायाधीश की पीठ और गुवाहाटी हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले के खिलाफ एसबीआई ने अपील दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसको खारिज करते हुए दिया। इसमें कहा गया था कि ग्राहक की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई थी।
हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट भी सहमत
एकल न्यायाधीश की पीठ और गुवाहाटी हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले के खिलाफ एसबीआई की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि ग्राहक की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई थी। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने टिप्पणी की थी कि हम एकल न्यायाधीश के साथ पूर्ण रूप से सहमत हैं कि प्रतिवादी संख्या 1/ याचिकाकर्ता के बैंक खाते से 18.10.2021 को हुए ऑनलाइन लेनदेन अनधिकृत और धोखाधड़ी की प्रकृति के थे। प्रतिवादी संख्या 1/ याचिकाकर्ता की ओर से कोई लापरवाही नहीं थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर पूर्ण सहमति व्यक्त की और कहा कि ग्राहक ने धोखाधड़ी वाले लेनदेन के 24 घंटे के भीतर… इसे बैंक के संज्ञान में लाया था।