जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह एवं कृषि वैज्ञानिक एम. एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने का स्वागत किया और इसके लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपनी घृणित राजनीति के तहत देश के जिन सपूतों को उनके हक से वंचित रखा, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार चुन चुन कर उन सभी को उनका हक दे रही है। उन्होंने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर, श्री लालकृष्ण आडवाणी, पी. वी. नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और एम. एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर केंद्र सरकार ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि देश के नायकों का उचित सम्मान यही सरकार कर सकती है।
चौधरी चरण सिंह और स्वामीनाथन दोनों ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों के लिए मसीहा के समान थे। चौधरी चरण सिंह प्रशासनिक अक्षमता, भाई-भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे। उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का पूरा श्रेय उन्हें जाता है। ग्रामीण देनदारों को राहत प्रदान करने वाला विभागीय ऋणमुक्ति विधेयक, 1939 को तैयार करने एवं इसे अंतिम रूप देने तथा मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम, 1960 को लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। दूसरी तरफ एम एस स्वामीनाथन हरित क्रांति के जनक थे। देश को अकाल से उबारने और किसानों को मजबूत बनाने वाली नीति बनाने में उन्होंने अहम योगदान निभाया था। उनकी अध्यक्षता में आयोग भी बनाया गया था जिसने किसानों की जिंदगी को सुधारने के लिए कई अहम सिफारिशें की थीं।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि इन सभी नायकों में से पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देना कांग्रेसी नेताओं को सबसे अधिक नागवार गुजर रहा होगा। यह स्व. राव ही थे जिन्होंने देश को आर्थिक तंगहाली से बाहर निकाल विकास के पथ पर अग्रसर किया था। उदारीकरण के उनके निर्णय ने ही आज के भारत की नींव रखी थी। लेकिन, गांधी परिवार के आगे घुटने नहीं टेकने के कारण वह उनके आंखों में कांटे की तरह खटकते थे।
स्व. राव से गांधी परिवार की घृणा इतनी अधिक थी कि उनके निधन के बाद उनके शव पर चढ़ाने के लिए फूल-माला तक का भी इंतजाम सरकार या पार्टी की तरफ से नहीं किया गया था। यहां तक कि जब उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में घुसने तक नहीं दिया गया। साथ ही कई घोटालों का ठीकरा उनके माथे पर फोड़ कर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गयी।
रंजन ने कहा कि दरअसल कांग्रेस की यह नीति रही है कि उनका सम्मान सिर्फ गांधी परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है। इसीलिए, इन्होंने सरदार पटेल और बाबा साहब अम्बेदकर को भी भारत रत्न नहीं दिया। उन्हें भी वर्ष 1990 में जनता दल की सरकार में यह सम्मान मिला। यह दिखाता है कि कांग्रेस की संस्कृति में वह संवेदनशीलता नहीं जो दूसरों को सम्मान दे सके और दूसरों की संवेदनाओं का सम्मान करे।