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अब दिव्यांगता नहीं बनेगी अड़चन, मिलेंगे अवसर, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल मानक विकलांगता के आधार पर किसी अभ्यर्थी को एमबीबीएस कार्यक्रम सहित शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

नई दिल्लीOct 16, 2024 / 02:00 pm

Shaitan Prajapat

supreme court

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा कि सरकार, नियामक निकायों और निजी क्षेत्र का जोर विकलांग उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराने या उनके शैक्षिक लक्ष्यों में बाधा डालने के तरीके तलाशने के बजाय उनके समायोजन और अवसर प्रदान करने पर होना चाहिए। विकलांगता मूल्यांकन बोर्ड को यांत्रिक रूप से काम करने के बजाय यह देखना चाहिए कि संबंधित उम्मीदवार की विकलांगता उसके पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने में बाधा बनेगी या नहीं? यदि बोर्ड उम्मीदवार को अयोग्य ठहराता है तो उसके कारण दर्ज किए जाने चाहिए।

मानक विकलांगता पर नहीं हो सकता अभ्यर्थी अयोग्य

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन बेंच ने कहा कि केवल मानक विकलांगता के आधार पर किसी अभ्यर्थी को एमबीबीएस कार्यक्रम सहित शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
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कोर्ट ने 45 फीसदी भाषा विकलांगता वाले एक उम्मीदवार की अपील को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने निर्णय में भरतनाट्यम नृत्यांगना सुधा चंद्रन, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली अरुणिमा सिन्हा और खेल व्यक्तित्व एच. बोनिफेस प्रभु जैसे व्यक्तियों का उल्लेख किया जिन्होंने विकलांगता पर विजय प्राप्त की।
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