अगर हसीना नहीं भागती तो मार दी जाती फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “बांग्लादेश में यह भावना थी कि दुनिया में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए। शेख हसीना दुनिया भर में मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ खड़ी नहीं हुईं, इसके परिणामस्वरूप उन्हें अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा। अगर वह (शेख हसीना) वहां से नहीं भागतीं, तो उन्हें भी मार दिया जाता।” शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। उपद्रवी अल्पसंख्यक हिंदुओं, शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के समर्थकों व उनके प्रतिष्ठानों को निशाना बना रहे हैं।
बांग्लादेश के हालात पर सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक बांग्लादेश के हालात को लेकर केंद्र सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को बांग्लादेश के हालात की जानकारी देते हुए आश्वासन दिया कि पड़ोसी देश पर सरकार की पैनी नजर बनी हुई है। बैठक में बांग्लादेश में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी जानकारी दी गई। बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने इस मसले पर सरकार के साथ खड़े होने का भरोसा दिया।