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Explainer: भारत से वीजा क्यों मांग रही तालिबान सरकार? सामने होंगी ये चुनौतियां

Explainer: तालिबान सरकार ने अफगान व्यापारियों, छात्रों और रोगियों के लिए वीजा फिर से शुरू करने का औपचारिक अनुरोध किया है।

नई दिल्लीJan 11, 2025 / 09:00 am

Shaitan Prajapat

Explainer: तालिबान सरकार ने अफगान व्यापारियों, छात्रों और रोगियों के लिए वीजा फिर से शुरू करने का औपचारिक अनुरोध किया है। यह अपील बुधवार को दुबई में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान की गई। भारत के लिए अफगानियों को वीजा जारी करना चुनौती क्यों है, एक नजर।

पाकिस्तान से बिगड़े संबंध भी एक वजह?

अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली तनाव में है और पड़ोसी पाकिस्तान के साथ संबंध सैन्य टकराव तक बिगड़ चुके हैं। लोग अब चिकित्सा और व्यापार के अवसरों के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। हालिया बैठक के बाद अफगानिस्तान की ओर से कहा गया कि दोनों पक्ष व्यापार और वीजा प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए हैं। हालांकि, भारत के आधिकारिक बयान में केवल अफगानिस्तान की विकासात्मक जरूरतों का समर्थन करने की तत्परता पर प्रकाश डाला गया, जिसमें वीजा का कोई सीधा उल्लेख नहीं है।

वीजा देने में क्या है चुनौतियां?

अफगानियों को वीजा देने में कई चुनौतियां हैं। पहली तो यही है कि भारत अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से कोई मान्यता नहीं देता है। दूसरा, सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं क्योंकि खुफिया एजेंसियों ने अफगानिस्तान से वीजा चाहने वालों से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में चेता चुकी हैं। तीसरा, काबुल स्थित भारतीय दूतावास के पास देश में कोई क्रियाशील वीजा सेवा या कार्यात्मक वाणिज्य दूतावास नहीं है। हालांकि, तालिबान ने भारत को आश्वासन दिया है कि वे कैसे भी सुरक्षा जोखिम को रोकने के लिए वीजा आवेदकों की सावधानीपूर्वक जांच करेंगे।
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भारत की कूटनीतिक दुविधा क्या है?

वीजा देने के लिए भारत को वाणिज्य दूतावासों को फिर से खोलना और काबुल दूतावास में कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी होगी। यह अपनेआप में एक बड़ा राजनीतिक निर्णय होगा, दुनियाभर में भारत के तालिबान सरकार के साथ अच्छे संबंधों का संकेत देगा। अभी भारत काबुल में एक छोटी तकनीकी टीम संचालित करता है, जो मुख्य रूप से मानवीय सहायता और तालिबान अधिकारियों के साथ सीमित जुड़ाव पर केंद्रित है। सेवाओं का विस्तार करने में कूटनीतिक और सुरक्षा दोनों को शामिल करना होगा।

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