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Explainer: अमेठी छोड़ रायबरेली क्यों चले राहुल गांधी, क्या इस फैसले उत्तर भारत की सियासत में आएगा टर्निंग पॉइंट

Rahul Gandhi contesting from Raebareli: क्या राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले से उत्तर भारत की सियासत में टर्निंग पॉइंट आएगा या कांग्रेस रायबरेली में ही फंस कर रह जाएगी।

नई दिल्लीMay 03, 2024 / 11:36 am

Anish Shekhar

Rahul Gandhi contesting from Raebareli: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की गाड़ी एक बार फिर उत्तर प्रदेश की ओर मुड़ गई है, लेकिन इस बार यह अमेठी ना जाकर रायबरेली की ओर चल पड़ी है। शुक्रवार सुबह 7:49 बजे जैसे ही कांग्रेस ने नाम का ऐलान किया तो कई महीने से चल रही अटकलों पर विराम लग गया। पहले चर्चाएं थी कि राहुल एक बार अमेठी पहुचेंगे और स्मृति ईरानी से अपना गढ़ फिर छीनने की कोशिश करेंगे, जबकि मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी की लेगेसी को बेटी प्रियंका गांधी आगे बढ़ाएगी। हालांकि, अब तस्वीर साफ हो गई है और राहुल गांधी अमेठी से ना लड़ कर रायबरेली से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जबकि अमेठी से के एल शर्मा को चुनावी जंग में उतारा गया है। यानी साफ है कि कांग्रेस सीधे तौर पर फेस ऑफ नहीं चाहती थी।

राहुल के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर क्या होगा असर

कांग्रेसी के स्थानीय कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि राहुल गांधी एक बार फिर अमेठी से चुनाव लडेंगे। हालांकि कांग्रेस ने गुरुवार से ही राहुल के रायबरेली से चुनाव लड़ने का नरेटिव सेट करना शुरू कर दिया था। सोशल मीडिया पर सोनिया गांधी का वो इमोशनल पत्र वायरल किया जा रहा था जो उन्होंने राजस्थान से राज्यसभा चुनाव लड़ने के दौरान रायबरेली की जनता को लिखा था।

क्या उत्तर भारत में बदलेगा हवा का रूख

राहुल के रायबरेली से चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी के उस नरेटिव पर भी चोट होगी जो उसकी ओर से सेट किया जा रहा था कि कांग्रेस अब सिर्फ दक्षिण भारत भर की पार्टी बन कर रह गई है। कांग्रेस के इस मूव से उत्तर भारत और खास कर की उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। इससे कांग्रेस उन सीटों पर बढ़त लेने की कोशिश करेगी जहां पार्टी बीजेपी से सीधे मुकाबले में है।
कुलमिलाकर, जहां बीजेपी यह दर्शाने की कोशिश करेगी कि राहुल गांधी अमेठी छोड़ कर चले गए तो वहीं कांग्रेस एक बार रायबरेली के जरिए अपने पुराने गढ़ों में एक बार फिर नींव मजबूत करने की कोशिश करेगी। दो चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं। लेकिन अभी 5 चरणों की जंग बाकी है। ऐसे में राहुल गांधी के चुनावी मैदान में उतरने से जहां कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बचे अपने आखिरी किले को बचाने की कोशिश करेगी तो वहीं एक स्ट्रांग मैसेज देने की कोशिश करेगी।

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