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Exclusive Interview : इसरो चीफ सोमनाथ बोले, हमारा अगला लक्ष्य अपना स्पेस स्टेशन बनाना है

नए साल का पहला अभियान सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने पत्रिका के साथ एक्सक्लूसिव बात की। उन्होंने इस अभियान के अलावा इसरो की भविष्य की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला।

Jan 07, 2024 / 08:31 am

Shaitan Prajapat

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सवाल: सूर्य पर मिशन भेजने वाला भारत विश्व का तीसरा देश बन गया है। जटिल अंतरग्रहीय मिशनों में यह सफलता कितनी महत्त्वपूर्ण है?
जवाब: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें एक दिशा दी है, एक लक्ष्य दिया है। हमें अमृतकाल के दौरान जो हासिल करना है, उसकी तैयारियां करनी हैं। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम का हॉप टेस्ट, प्रोपल्शन मॉड्यूल को वापस चंद्रमा से पृथ्वी की कक्षा में लाना और अब आदित्य मिशन को हेलो आर्बिट (लैग्रेंज-1) में स्थापित करना भविष्य की तैयारियों का एक हिस्सा है। हमें स्पेस स्टेशन को डिजाइन करना है और अंतरिक्ष में स्थापित करने के बाद उसे संचालित करना है। मंगल पर लैंड करना है। ये बेहद चुनौतीपूर्ण मिशन है। इसके अलावा साल 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्षयात्री को भेजना है। इसके लिए हमें तकनीक हासिल करनी है। ऐसे मिशनों में सफलता से भविष्य के जटिल मिशनों में कामयाबी का भरोसा बढ़ता है।

सवाल: पिछले छह माह में हमने 3 साइंस मिशन लॉन्च किए जबकि साल 2019 तक केवल 4 साइंस मिशन लॉन्च हुए थे। आगे भी कई साइंस मिशन कतार में हैं। यह तकनीकी और आर्थिक तरक्की में किस तरह योगदान देंगे?
जवाब: रिपीट उपग्रह बनाने से कोई फायदा नहीं है। हमें इनोवेशन करना है। नए आइडिया लाना है। इसलिए तकनीकी उन्नति होती रहेगी। जब, तकनीक उन्नत होती है तो लागत भी कम आती है। ऑटोमेशन होता है और अधिकांश प्रणालियां स्वचालित होती हैं। कृत्रिम बुद्धिमता (एआइ) का विकास होता है और एफिशियंसी बढ़ती है। चंद्रयान-3 और आदित्य मिशनों में काफी ऑटोमेशन हुआ है। इस तकनीकी अपग्रेडेशन का फायदा हमें रिमोट सेंसिंग और संचार उपग्रहों में भी मिलेगा।

सवाल: देश में साइंस को लेकर एक नई लहर पैदा हुई है। क्रिकेट से कहीं अधिक चर्चा आजकल चंद्रयान, आदित्य और इसरो के रॉकेट पर हो रही है। इस बदलाव को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: हमारा काम ऐसा है जो दिल को छूता है। चंद्रयान मिशन काफी इमोशनल मिशन भी है। छोटे बच्चे, युवा या देश का हर नागरिक चंद्रयान-3 की सफलता पर खुश हुआ। जब हम यह कहते हैं कि भारत ने खुद अपनी तकनीक विकसित कर इस उपलब्धि को हासिल किया तो, हमें और गर्व होता है। आत्मविश्वास बढ़ता है कि हमारे पास भी इतनी ताकत है कि ऐसे जटिल मिशन कर सकते हैं। मुझे विश्वास है कि इससे बच्चे साइंस और इंजीनियरिंग के प्रति आकर्षित होंगे और अंतत: उसका लाभ देश को मिलेगा।

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सवाल: आदित्य एल-1 मिशन की सफलता पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: यह मिशन कई वर्षों से चला आ रहा था। यह जटिल होने के साथ ही अनूठा मिशन भी है। इसकी योजना 2009 में बनी और अब जाकर पूरा हुआ। तीन बातें महत्त्वपूर्ण हैं। पहला, साइंस मिशन की योजना बनाना और उसे कार्यान्वित करना जो साल-दो साल की बात नहीं है। दूसरा, आदित्य मिशन में सारे उपकरण भारत में बने। हमने विदेशों से कुछ नहीं लिया। कोई तकनीक नहीं ली। तीसरा, हमारा प्लानिंग वर्ल्ड क्लास है।

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