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झारखंड में ‘टाइगर’ की एंट्री, टेंशन में BJP-Congress-JMM, दूसरे चरण में पलटेगा समीकरण!

Jharkhand News: जेएलकेएम ने दोनों प्रमुख गठबंधनों, ‘इंडिया’ और एनडीए की नींद खराब कर रखी है। पार्टी ने 76 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

नई दिल्लीNov 16, 2024 / 08:06 am

Anish Shekhar

Jharkhand Election 2024: युवाओं को रोजगार, भर्ती परीक्षा और क्षेत्रीय भाषा के लिए आंदोलनों के दम पर जयराम महतो ‘टाइगर’ की झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) ने दोनों प्रमुख गठबंधनों, ‘इंडिया’ और एनडीए की नींद खराब कर रखी है। हालांकि सियासी खिलाडि़यों के सामने जेएलकेएम कितना टिक सकेगा, यह नतीजों से ही पता चलेगा। बहरहाल, 30 साल के महतो की रैलियों में उमड़ रही युवाओं की भीड़ से इस चुनाव में एक नई क्षेत्रीय पार्टी का उदय जरूर होता दिख रहा है। महतो खुद दो सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से गिरिडीह जिले की डूमरी सीट पर झामुमो टिकट पर मैदान में उतरीं राज्य की मंत्री बेबी देवी को वह कड़ी टक्कर दे रहे हैं। जेएलकेएम ने 76 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि दो उम्मीदवारों ने इंडिया ब्लॉक का समर्थन कर दिया लेकिन लोग मानते हैं अनेक सीटों पर यह नई पार्टी स्थापित दलों के समीकरण बिगाड़ेगी।
झारखंड में आदिवासियों के बाद सर्वाधिक कुर्मी (महतो) समुदाय की आबादी करीब 22% है और 30 सीटों पर उसका प्रभाव माना जाता है। टाइगर इसी समुदाय से आते हैं। धनबाद में चुनावी माहौल में जेएलकेएम और टाइगर के प्रभाव की चर्चा सुनी। उत्सुकता के चलते मैं गिरिडीह जिले के डूमरी कस्बे में पहुंचा जहां से खुद जयराम महतो चुनाव लड़ रहे हैं। यहां जेएलकेएम के झंडे-बैनरों को देखकर जयराम की दमदार उपस्थिति दिखी। हाइवे पर मेडिकल स्टोर चलाने वाले पीयूष मिश्रा कहने लगे कि ‘टाइगर’ का माहौल है, युवा उनके साथ हैं। एनडीए की ओर से यहां चुनाव लड़ रही आजसू का प्रचार नजर नहीं आया। तरनारी गांव में नवयुवक दरमेश महतो ने साफ कहा कि हमारा टाइगर जीतेगा। पिछली बार हमने जेएमएम का समर्थन किया था। भर्ती परीक्षाओं में घालमेल के खिलाफ टाइगर ने आवाज उठाई है, वह जीतेगा तो विधानसभा में हमारी आवाज गूंजेंगी। बुजुर्ग रामे मूर्मू कहने लगे कि बेबी देवी के पति जगरनाथ महतो दमदार नेता थे। उनके निधन के बाद हमने बेबी को जिताया था, इस बार देखो क्या होता है?

स्थानीय को रोजगार आंदोलन से बने ‘टाइगर’

2022 में भोजपुरी, मगही और अंगिका जैसी झारखंड से बाहर की मानी जाने वाली भाषाओं को 11 जिलों में राज्य स्तरीय परीक्षाओं के लिए क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने का भारी विरोध हुआ। जयराम ने झारखंड में स्थानीय लोगाें को नौकरियां मिलने का मुद्दा उठा कर झारखंडी भाषा खातियां संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) बनाकर आंदोलन और प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। उन्हें युवाओं व अन्य लोगों का समर्थन मिला। अधिकारियों के सामने आक्रामक अंदाज में बातचीत करने से उनके युवा समर्थक उन्हें ‘टाइगर’ बुलाने लगे।

लोकसभा में दे चुके हैं टक्कर

जयराम ने गिरिडिह सीट से लोकसभा चुनाव में करीब 3.5 लाख वोट हासिल किए थे और इसी के तहत आने वाली डूमरी विधानसभा क्षेत्र से लीड हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में जेएलएकएम ने आठ उम्मीदवार मैदान में उतारे थे।

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