DM ने दिया जांच का आदेश
डीएम के आदेश पर एडीएम (आपूर्ति) के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने इस मामले की जांच की। जांच में पता चला कि चुनाव के दौरान एक कर्मी पर रोजाना 10 प्लेट खाना का खर्च दिखाया गया जो की फर्जी है। जांच में खुलासा हुआ कि भोजन की आपूर्ति करने वाले वेंडर ने जिला प्रशासन को जो बिल सौंपे थे उनमें भारी गड़बड़ी पाई गई थी। चुनाव के दौरान कर्मियों को तीन कंपनियों ने भोजन और नाश्ता उपलब्ध कराया था। कंपनियों ने दावा किया था कि उन्होंने चुनाव के दौरान करोड़ों रुपये का भोजन और अ्य खाद्य सामग्री की आपूर्ति की थी लेकिन तीन सदस्यीय टीम की जांच में यह बात गलत साबित हुई।
बिल में थी एक और चौंकाने वाली बात
कंपनियों के बिल में एक बात और चौंकाने वाली सामने आई। डीएम के अनुसार जांचकर्ताओं को एक पुलिसकर्मी के घर में 100 लोगों के बैठने की जगह वाला हॉल मिला। बिल में यह भी दावा किया गया कि वहां 80 से 90 पंखे और बल्ब लगाए गए थे, जिससे अनियमितता का संदेह पैदा होता है।
बिलों को किया फर्जी घोषित
बता दें कि इन बिलों की जांच के लिए संबंधित विधानसभा क्षेत्र के सहायक चुनाव अधिकारियों को पटना में बुलाया गया और बिलों की जांच कराई गई। इसके बाद पता चला कि चुनाव के दौरान पुलिसकर्मियों के आवास पर इतनी बड़ी संख्या में पंखे और बल्ब नहीं लगाए जा सकते है। इस बात का खुलासा होने के बाद कंपनियों द्वारा दिए गए बिलों की जांच की गई। जांच के बाद उनके दावों में विसंगतियों की पुष्टि होने के बाद शेष बिलों को फर्जी घोषित कर दिया।