करीब 30 करोड़ मतदाता वोटिंग से रह जाते हैं वंचित चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार करीब 30 करोड़ से ज्यादा मतदाता वोट करने से वंचित रह जाते हैं। चुनाव आयोग ने बयान में कहा कि, 2019 के आम चुनाव में 67.4 फीसद मतदान हुआ था। वोटर नई जगह जाने पर कई वजह से चुनाव में मतदान करने के लिए अपने घरेलू मतदान केंद्र पर नहीं लौट पाते है। घरेलू प्रवासियों का वोटिंग करने में असमर्थ होना पर चुनाव आयोग चिंतित था।
ढूंढ़ा समाधान, ECI ने बनाई RVM इस समस्या के निदान के लिए आखिरकार चुनाव आयोग ने एक समाधान निकाल लिया। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने प्रोटोटाइप मल्टी-कंस्टीट्यूएंसी रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) विकसित की है। यह एक रिमोट पोलिंग बूथ से कई निर्वाचन क्षेत्रों को संभाल सकती है।
ECI टीम ने विस्तार पूर्वक किया मंथन ECI टीम ने सभी सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में प्रवासियों की चुनावी भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए समावेशी समाधान खोजने के लिए विस्तार से विचार-विमर्श किया है। और वैकल्पिक मतदान विधियों जैसे दो-तरफा भौतिक ट्रांजिट पोस्टल बैलेट, प्रॉक्सी वोटिंग, विशेष प्रारंभिक मतदान केंद्रों पर शुरूआती मतदान, एक- डाक मतपत्रों का एकतरफा या दोतरफा इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण (ईटीपीबीएस), इंटरनेट आधारित मतदान प्रणाली शामिल है।
ईवीएम क्या है जानें चुनाव आयोग ने सन 1977 में हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) को ईवीएम बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। संस्थान ने भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड, बेंगलुरु की मदद से 1979 में इसका प्रोटोटाइप विकसित किया। चुनाव आयोग ने वर्ष 1980 में इसे राजनैतिक दलों के सामने पेश किया गया। ईवीएम का पहला प्रयोग 1982 में केरल में आम चुनावों में किया गया था। 1998 में पहली बार इसका प्रयोग मध्य प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में सीमित संख्या में किया गया था। 2001 के बाद सभी विभानसभा चुनावों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके साथ ही 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में 543 संसदीय क्षेत्रों में मतदान के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था।