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Expenditure on food: आजादी के बाद आधे से भी कम हुआ भोजन पर औसत घरेलू खर्च, पैकेज्ड फूड की बढ़ी खपत बनी चिंता का कारण

Expenditure on food: देश के कई राज्यों में ग्रामीण परिवारों के महीने के खर्च में शहरी परिवारों के तुलना में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ग्रामीण परिवारों के लिए यह 164% और शहरी परिवारों के लिए 146% रही।

नई दिल्लीSep 07, 2024 / 02:29 pm

स्वतंत्र मिश्र

Expenditure on food is reduced : आजादी यानी वर्ष 1947 के बाद पहली बार भारत में भोजन पर औसत घरेलू खर्च आधे से भी कम हो गया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में खाद्य उपभोग के पैटर्न में बड़े बदलाव आए हैं। अब परोसे गए तथा डिब्बाबंद प्रसंस्कृत (Packaged and Processed Food ) भोजन पर खर्च की हिस्सेदारी बढ़ गई है। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HES) 2022-23 और 2011-12 के विश्लेषण के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भोजन पर कुल घरेलू खर्च की हिस्सेदारी में काफी कमी आई है जबकि परिवारों के औसत मासिक प्रति व्यक्ति खर्च में 10 साल में काफी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण परिवारों के मासिक खर्च में वृद्धि शहरी परिवारों की तुलना में अधिक है। ग्रामीण परिवारों के लिए यह 164% और शहरी परिवारों के लिए 146% रही।

डिब्बाबंद प्रसंस्कृत भोजन पर बढ़ा खर्च

रिपोर्ट के अनुसार, डिब्बाबंद प्रसंस्कृत भोजन यानी पैकेज्ड फूड (Packaged and processed Food) पर घरेलू खर्च की हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है। यह वृद्धि सभी क्षेत्रों और उपभोग वर्गों में देखी गई है, लेकिन देश के शीर्ष 20% परिवारों और शहरी क्षेत्रों में यह काफी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डिब्बा बंद भोजन की बढ़ती स्वास्थ्य परिणामों को भी प्रभावित करेगी। ग्रामीण इलाकों में वर्ष 2011-12 में सव्र्ड प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड पर खर्च की हिस्सेदारी 5.7% थी जो 2022-23 में बढक़र 7.3% हो गई। वहीं शहरी इलाकों में सव्र्ड प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड की परिवारों के मासिक खर्च में हिस्सेदारी वर्ष 2011-12 में 6.5% थी जो वर्ष 2022-23 में बढक़र 8.2% हो गई। 20% सबसे गरीब ग्रामीण लोग पैकेड्ज फूड पर 2022-23 में 7.2% तो शहरों में 6.9 खर्च कर रहे थे।
वर्ष 2011-12 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय परिवारों की औसत मासिक खर्च 164 फीसदी बढ़ी। वर्ष 2011-12 में केवल 1430 रुपए मासिक खर्च थी जो वर्ष 2022-23 में 3773 रुपए हो गई।
भारतीय परिवारों की औसत मासिक खर्च शहरी इलाकों में वर्ष 2022-23 में 6459 रुपए रही जो 2011-12 में सिर्फ 2630 रुपए थी। यानी खर्च में 146% का इजाफा हुआ

53% खर्च खाने पर होता था ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2011-12 में जो 2022-23 में घटकर 46.5% रह गया

42.7% था शहरी क्षेत्रों में खान-पान पर खर्च जो 2022-23 में घटकर 39.2% पर आ गया
-20% सबसे गरीब लोगों का भोजन पर खर्च ग्रामीण इलाकों में 59.6% से घटकर 2022-23 में 53.1% पर आ गया 10 साल में, शहरों में यह 56.4% से घटकर 48.2% रह गया

इतना बढ़ा परिवारों का औसत मासिक खर्च

राज्य ग्रामीण क्षेत्र इजाफा शहरी क्षेत्र इजाफा
राजस्थान 4,258 165% 5,909 142%
मध्यप्रदेश 3,112 170% 4,987 142%
छत्तीसगढ़ 2,465 140% 4,477 140%
दिल्ली 6,576 138% 8,219 143%
उत्तर प्रदेश 3,191 176% 5,042 146%
सिक्किम 7,730 394% 12,106 364%
गुजरात 3,799 147% 6,620 156%
महाराष्ट्र 4,010 148% 6,652 109%
चंडीगढ़ 7,466 184% 12,575 275%
(औसत मासिक खर्च रुपए में)

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