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Dussehra 2024: देश में इन 5 जगहों पर नहीं होता रावण का दहन, जानिए क्यों

Dussehra 2024: दशहरा का त्योहार पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत में कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता।

नई दिल्लीOct 07, 2024 / 03:23 pm

Shaitan Prajapat

Dussehra 2024: दशहरा या विजयदशमी का त्योहार पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 12 अक्टूबर, 2024 को दशहरा मनाया जा रहा है। यह दिन राम की रावण पर जीत का उत्सव माना जाता है, इसलिए रावण के पुतले का दहन एक प्रमुख रस्म होती है। लेकिन भारत में कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां रावण का पुतला नहीं जलाया जाता। इसके पीछे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं, जिनमें से प्रत्येक स्थान पर अपने अनूठे रीति-रिवाज और मान्यताएं हैं।

कांकेर, छत्तीसगढ़

कांकेर में रावण को ‘मामा’ कहा जाता है और यहां के आदिवासी समुदाय के लोग रावण का सम्मान करते हैं। वे उसे महाज्ञानी और बलशाली मानते हैं और उसके प्रति श्रद्धा रखते हैं, इसलिए यहां दशहरे पर पुतला दहन नहीं किया जाता।

मंडोर, राजस्थान

राजस्थान के मंडोर के लोगों का मानना है कि यह स्थान रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता मय दानव की राजधानी थी, और रावण ने यहीं पर मंदोदरी से विवाह किया था। इस कारण, मंडोर के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं। इसी सम्मान की भावना के चलते, यहां विजयदशमी के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता। इसके बजाय, रावण के प्रति आदर व्यक्त करते हुए उसकी मृत्यु का शोक मनाया जाता है। यह परंपरा स्थानीय मान्यताओं और संबंधों के आधार पर पीढ़ियों से चली आ रही है।
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गोंड जनजाति, मध्य प्रदेश

गोंड जनजाति के लोग भी रावण को अपने पूर्वज के रूप में पूजते हैं। वे रावण को सम्मानित करते हैं और उसकी हत्या का उत्सव नहीं मनाते। उनके अनुसार, रावण एक वीर योद्धा और महान ज्ञानी था।

बस्तर, छत्तीसगढ़

बस्तर दशहरा भारत के सबसे अनूठे दशहरा उत्सवों में से एक है, जहां रावण का पुतला जलाने की परंपरा नहीं है। यहां मां दुर्गा की पूजा की जाती है और इसे शक्ति के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव में रावण दहन की बजाय देवताओं की शोभायात्रा निकाली जाती है।
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मांडसौर, मध्य प्रदेश

एमपी के मांडसौर में एक अनोखी परंपरा है, जहाँ रावण का पुतला नहीं जलाया जाता। इसकी वजह यह मानी जाती है कि मांडसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म स्थान है। इस कारण यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं और उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हैं, न कि उत्सव मनाते हैं। दशहरे के दिन रावण दहन के बजाय उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। मांडसौर में रावण की 35 फीट ऊंची मूर्ति भी स्थापित है, जो इस परंपरा और मान्यता का प्रतीक है।

बिसरख, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव की एक अनोखी और दिलचस्प मान्यता है, जिसके अनुसार यह स्थान रावण की जन्मस्थली है। यहां के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन नहीं करते, बल्कि उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। रावण के पिता ऋषि विश्रवा और माता कैकेसी थीं, जो राक्षसी कुल से थीं। कहा जाता है कि ऋषि विश्रवा ने बिसरख में एक शिवलिंग की स्थापना की थी, और इसी के सम्मान में इस स्थान का नाम “बिसरख” पड़ा। यहां के निवासी रावण को एक महान विद्वान और महा ब्राह्मण मानते हैं, जो वेद और शास्त्रों के ज्ञाता थे।

कांगरा, उत्तराखंड

हिमाचल प्रदेश के कांगरा में एक विशेष मान्यता है कि लंकापति रावण ने इसी स्थान पर भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी और उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त किया था। रावण को महादेव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है, इसलिए यहां के लोग रावण का गहरा सम्मान करते हैं। इस धार्मिक आस्था के चलते कांगरा में दशहरे के अवसर पर रावण दहन नहीं किया जाता। यहां के लोग रावण को एक महान तपस्वी और भगवान शिव का प्रिय भक्त मानकर उनका सम्मान करते हैं, और इस परंपरा का पालन पीढ़ियों से चला आ रहा है।

गडचिरोली, महाराष्ट्र

गडचिरोली में निवास करने वाली गोंड जनजाति खुद को रावण का वंशज मानती है और रावण की पूजा करती है। उनके अनुसार, केवल तुलसीदास द्वारा रचित रामायण में रावण को बुरा दिखाया गया है, जबकि वह उनके लिए एक महान और सम्माननीय व्यक्तित्व था। इसी मान्यता के आधार पर, इस क्षेत्र में दशहरा के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है।

मलवेल्ली, कर्नाटक

यहां भी रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, रावण एक महान विद्वान और शिव भक्त था, जिसे दहन करना अनैतिक माना जाता है। यहां के लोग मानते है कि रावण एक ज्ञानी और शक्तिशाली राजा की है, जिसे वे सम्मान और श्रद्धा के साथ देखते हैं।

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