कोरोना से जंग के लिए देश में दो अहम वैक्सीनों को मिली आपात मंजूरी के बाद डॉ. डैंग्स लैब की चर्चा हो रही है। दरअसल कॉर्बोवेक्स के विकास में डॉ. डैंग्स लैब का अहम योगदान बताया जा रहा है। डीजीसीआई की ओर से मिली मंजूरी को लेकर डॉ. डैंग्स लैब के सीईओ डॉ. अर्जुन डैंग ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा है कि हमारी लैब में हर क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञ हैं। इन लोगों ने सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन के विकास के लिए समय पर काम पूरा किया।
बता दें कि कार्बेवैक्स तीसरी स्वदेशी वैक्सीन है। इससे पहले देश में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और जायडस कैडिला के जायकोव-डी के कोविड-19 रोधी टीके को मंजूरी दी जा चुकी है।
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देश की 30 जगहों पर हुई टेस्टिंग
कोर्बेवैक्स वैक्सीन को हैदराबाद की कंपनी बायोलाजिकल-ई ने बनाया है। इसके कारगर परिणामों के लिए इसका तीन चरणों में टेस्ट किया गया। यही नहीं लैब की ओर एस कोर्बेवैक्स की भारत में 30 से अधिक साइटों पर टेस्टिंग की गई। पहले, दूसरे और तीसरे चरण के तहत व्यापक क्लिनिकल टेस्टिंग में इसके परिणाम काफी अच्छे रहे।
बता दें कि बायोलॉजिकल ई लिमिटेड कॉर्बेवैक्स का COVID-19 वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ पहला स्थानीय रूप से विकसित प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है जो वैक्सीन एंटीजन के रूप में स्पाइक प्रोटीन रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन का उपयोग करता है।
कोर्बेवैक्स वैक्सीन को हैदराबाद की कंपनी बायोलाजिकल-ई ने बनाया है। इसके कारगर परिणामों के लिए इसका तीन चरणों में टेस्ट किया गया। यही नहीं लैब की ओर एस कोर्बेवैक्स की भारत में 30 से अधिक साइटों पर टेस्टिंग की गई। पहले, दूसरे और तीसरे चरण के तहत व्यापक क्लिनिकल टेस्टिंग में इसके परिणाम काफी अच्छे रहे।
बता दें कि बायोलॉजिकल ई लिमिटेड कॉर्बेवैक्स का COVID-19 वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ पहला स्थानीय रूप से विकसित प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है जो वैक्सीन एंटीजन के रूप में स्पाइक प्रोटीन रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन का उपयोग करता है।
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सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का किया अग्रिम भुगतान
वैक्सीन को लेकर भारत सरकार ने जून में कंपनी को 1,500 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान कर दिया है। बायोलाजिकल-ई ने दिसंबर तक 30 करोड़ डोज की आपूर्ति करने का वादा किया था, लेकिन ट्रायल में देरी से इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिलने में भी देरी हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना के खिलाफ यह दुनिया में अपनी तरह की पहली वैक्सीन है, जो कोरोना वायरस के रिसेप्टर बाइंडिग डोमेन (आरबीडी) के सब-प्रोटीन पर आधारित है।
सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का किया अग्रिम भुगतान
वैक्सीन को लेकर भारत सरकार ने जून में कंपनी को 1,500 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान कर दिया है। बायोलाजिकल-ई ने दिसंबर तक 30 करोड़ डोज की आपूर्ति करने का वादा किया था, लेकिन ट्रायल में देरी से इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिलने में भी देरी हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना के खिलाफ यह दुनिया में अपनी तरह की पहली वैक्सीन है, जो कोरोना वायरस के रिसेप्टर बाइंडिग डोमेन (आरबीडी) के सब-प्रोटीन पर आधारित है।