जवाब: कश्मीर में अमन जरूर है, लेकिन यहां की खामोशी को खुशी नहीं समझा जाए। यह चुनाव नई दिल्ली को संदेश भेजने वाला चुनाव है। कश्मीर के लोगों में अपनी पहचान, अपनी जमीन, अपनी नौकरियों को लेकर डर है? नई दिल्ली को कश्मीर के लोगों को सुनने की जरूरत है और उनके मुद्दों और आशंकाओं को दूर करने की जरूरत है।
जवाब: चुनाव हम कश्मीर के लोगों की खुशियां लौटाने के लिए लड़ रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस से भी हमारी लड़ाई नहीं है। नेशनल कांफ्रेंस के लोग हमारे खिलाफ कैंपेनिंग करते हैं, लेकिन हम नहीं करते। हमने कहीं भी उनके खिलाफ नहीं बोला। वे हमारे विरोधी ही क्यों न हो, पर हम चाहते हैं कि कश्मीर में जो घुटन है, जो खमोशी है, उसका जवाब इस चुनाव में मिले। लोगों की खुशी के लिए हम आगे बढ़ रहे हैं।
जवाब: यहां ‘इंडिया’ गठबंधन ने हमारा साथ नहीं दिया, सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई। यदि सीट शेयरिंग पर बात बनती तो हम यहां भी उन्हें सपोर्ट करते।
जवाब: वह सबकुछ जो यहां के लोग चाहते हैं। यहां के लोगों के चेहरे पर कैसे खुशी आए, यह मुद्दा है। हमारे साथ जो भी नाइंसाफी हुई है, वह सब मुद्दा है। जो 5 अगस्त (2019) को हुआ था, वह मुद्दा पूरे कश्मीर की समस्या का है।
जवाब: लोकतंत्र में एक वोट का भी महत्व है, यह याद रखना चाहिए कि एक वोट से एनडीए की सरकार गिर गई थी। भाजपा को 2 सीटों से यहां तक पहुंचने में 70 साल लग गए।
जवाब: बात माहौल की नहीं, लोगों के चेहरे देखिए, नाउम्मीदी देखिए। जब हमारे फैसले होते हैं तो हमसे पूछा ही नहीं जाता है। फैसला सही है या नहीं, बात यह नहीं है। बात ये है कि हमारे घर और हमारे बच्चों का फैसला करने से पहले हमें पूछा ही नहीं जाता है। यदि ऐसे की राज्यपाल शासन लगाते रहेंगे तो कैसे चलेगा। यदि यह सही तो फिर देश में इसी इसी सिस्टम से शासन चलाया जाए।