22 साल की जिंदगी में ही हासिल किया बड़ा मुकाम
आनंदी को बेशक 22 साल का जीवन मिला। लेकिन उन्होंने इसी जीवन में बड़ा मुकाम हासिल की। वो भारत की पहली लेडी डॉक्टर कहलाई। उन्हें डॉक्टर बनाने में उनके पति गोपालराव जोशी का भी बड़ा रोल है। गोपालराव ने आनंदी का हरकदम पर साथ दिया।
डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान आनंदी की अंग्रेजों से अच्छी दोस्ती हो गई थी। थियो डीसिया नामक उनकी दोस्त ने आनंदी की मौत के बाद उनके परिजनों से उनका राख देने की मांग की थी। बाद में थियो डीसिया ने उस राख को न्यूयॉर्क के पकिप्सी में एक कब्रिस्तान में अपने परिजनों के साथ दफना। इस कब्रिस्तान के हेडस्टोन पर लिखा है- आनंदीबाई जोशी MD (1865- 1887), भारत की पहली महिला डॉक्टर। आनंदी गोपाल पर मराठी फिल्म भी बन चुकी है।
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