यह है श्राप की कहानी
यहां के लोगों का दीवाली नहीं मनाने के पीछे एक श्राप की कहानी है। यह कहानी उस समय की है जब एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी। दीवाली के दिन महिला माता-पिता के घर जाने के लिए निकली थी, लेकिन रास्ते में उसे अपने पति की मृत्यु की खबर मिल गई थी। महिला इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाई और पति के साथ सती हो गई और गांव वालों को श्राप देकर चली गई। महिला ने श्राप दिया था कि यहां के लोग कभी दीवाली नहीं मना पाएंगे। तब से लेकर आज तक इस गांव में दीवाली नहीं मनाई जाती है। गांव के ग्रामीण केवल उस सती की पूजा करते हैं लेकिन दीवाली का उत्सव नहीं मनाते हैं।
घर के अंदर रहना करते हैं पसंद
गांव के एक बुजुर्ग के बताया कि उसने 70 से ज्यादा दीबाली बिना किसी उत्सव के देखी हैं। वे कहते हैं कि जब भी कोई दीवाली मनाने की कोशिश करता है तो कोई दुर्भाग्य या नुकसान हो जाता है और ऐसे में वे घर के अंदर ही रहना पसंद करते हैं। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए ग्रामीणों ने कई हवन और यज्ञ भी किए लेकिन सब असफल रहे।