गुजरात में नवंबर से फरवरी की अवधि को अमूमन एनआरआई सीजन कहा जाता है। ऐसे में फिजी से लेकर फिनलैण्ड और मेलबोर्न (आस्ट्रेलिया) से लेकर मियामी (अमरीका) तक बसने वाले इस गांव के लोग धर्मज दिवस मनाने यहां आते हैं। छ गाम पाटीदार समाज तथा धरोहर फाउंडेशन धर्मज के संयुक्त तत्वावधान में धर्मज के श्री जलाराम तीर्थ में यह आयोजन होगा।
इस बार हरे रंग की थीम
हर वर्ष धर्मज दिवस पर कोई एक रंग थीम रंग होता है। इस बार धर्मज दिवस का आयोजन प्रकृति के हरे रंग के साथ होगा।संस्कार सिंचन करना उद्देश्य
टीम धर्मज के संयोजक राजेश पटेल ने बताया कि इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विदेशों में बसने वाली युवा पीढ़ी में संस्कार का सिंचन करना है। फिलहाल यहां की चौथी पीढ़ी विदेशों में रह रही है। वर्ष 2007 से हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है। विदेशों में बसने वाले इस गांव के मूल लोग एक बार अपने गांव आने का अवसर नहीं छोड़ते। यह भी पढ़ें
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आणंद के गांवों से विदेश जाने में आई तेजी
धर्मज को एनआरआई का गांव माना जाता है। बताया जाता है कि 130 वर्ष पहले यानी 1895 में यहां से पहली बार विदेश गमन किया गया। यह सिलसिला अब तक जारी है। पिछले एक दशक से गांव से विदेश जाने में काफी तेजी आई है।मन की बात में कह चुके हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी एक बार मन की बात में इसे लेकर अपील की थी। उन्होंने कहा था कि प्रत्येक गांव को अपना एक दिवस मनाना चाहिए।धर्मज गौरव, धर्मज ज्योति व धर्मज ज्योति अवार्ड
इस अवसर पर अमरीका स्थित शॉर्ट फिल्म निर्माता, निर्देशक व अभिनेता सह माइक्रोबायोलॉजिस्ट व मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट भद्रेश पटेल को धर्मज गौरव अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। उल्लेखनीय कार्य करने वाले गांव के युवक-युवतियों को भी धर्मज ज्योत तथा धर्मज ज्योति अवार्ड दिया जाएगा।मिट्टी की महक को बनाए रखने के प्रयास
विश्व भर में बढ़ रहे शहरीकरण के बीच मिट्टी की महक को बनाए रखने के प्रयास के तहत गांव का यह दिवस मनाया जाता है। प्रत्येक गांव को अपनी रीत से गांव व ग्राम जीवन बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। यह काम धर्मज गांव पिछले 18 साल से करता आ रहा है।-राजेश पटेल, संयोजक, टीम धर्मज