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Lok Sabha Elections: देश की वो लोकसभा सीट, जहां प्रत्याशी खा रहे अनोखी कसम

Dhanbad Lok Sabha Seat: ‘कोयले की राजधानी’ में रंगदारी मुद्दा बड़ा है। भाजपा ने ढुल्लू महतो और कांग्रेस ने अनुपमा सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। पढ़ें धनबाद (झारखंड) से राजेन्द्र गहरवार की रिपोर्ट की आखिर यहां प्रत्याशी क्यों खा रहे कसम…

नई दिल्लीMay 21, 2024 / 11:01 am

Anish Shekhar

Dhanbad Lok Sabha Seat: कोयले की राजधानी धनबाद में राष्ट्रीय मुद्दों के इतर रंगदारी सबसे बड़ा मुद्दा है। जिसे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी खत्म करने वादा कर रही हैं। भाजपा ने अपने आक्रामक नेता तीन बार के विधायक ढुल्लू महतो और कांग्रेस ने विधायक अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। दोनों के ही परिवार कोयला मजदूर संगठनों के आंदोलन से जुड़े हुए हैं। ढुल्लू देश के सबसे अधिक आपराधिक मुकदमों वाले प्रत्याशी में से एक हैं। जिन पर दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। हालांकि वे इसे राजनीतिक द्वेष से जुड़े मुकदमे बता रहे हैं, साथ ही कसम भी खा रहे हैं कि अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कोयले की काली कमाई नहीं खाई। उनको उम्मीदवार बनाने को लेकर पार्टी के भीतर विरोध भी हो रहा है।
धनबाद में चुनाव से अधिक चर्चा पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटे जाने को लेकर हो रही है। जो 2009 से लगातार तीन बार भाजपा से सांसद रहे हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने पूर्व क्रिकेटर कीर्ति झा आजाद को बड़े अंतर से हराया था। हालांकि टिकट काटे जाने को लेकर उम्र और स्वास्थ्य का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन सुभाष शेखर इसे एंटी इंकम्बैंसी से जोडक़र बताते हैं। उनका कहना है कि प्रदेश से सबसे अधिक राजस्व धनबाद से मिलता है। लेकिन एयरपोर्ट नहीं बना। जब मंजूरी हुई तो यह देवघर चला गया। ऐसा ही एम्स के साथ भी हुआ वह भी देवघर में तैयार हो रहा है। दीपक कहते हैं कि रेल सुविधाओं के विस्तार में भी उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई। अब भी यह पश्चिम बंगाल का वाया रूट ही है। वे कहते हैं कि प्रदूषण यहां की सबसे बड़ी समस्या है, खुली कोयला खदानों की डस्ट बीमार कर रही है, लेकिन जब एम्स बनाने की बारी आई तो यह देवघर चला गया, इससे नाराजगी है। लोग मानते हैं कि धनबाद की कोई आवाज नहीं है।
ऊपर से कोयला माफिया यहां का माहौल खराब करते हैं। इस पर रोक के लिए प्रभावी कदम किसी सरकार ने नहीं उठाए। गैंगवार आम बात है, इसका नुकसान यहां की छवि को उठाना पड़ रहा है। कारोबारियों को प्रशासन से अधिक माफिया पर भरोसा है। महतो की टिकट को लेकर भाजपा के भीतर विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं। पूर्व मंत्री और पार्टी के बागी नेता सरयू प्रसाद राय ने तो मोर्चा ही खोल रखा है और ढुल्लू के खिलाफ प्रशासन को शिकायत की है। तो मारवाड़ी समाज ने भी धमकाने के मामले में एफआइआर कराने के साथ ही भाजपा से प्रत्याशी को लेकर पुनर्विचार की मांग की थी। इस सीट पर 22 उम्मीदवार मैदान में हैं, छठे चरण में 25 मई को मतदान होगा।

दम दिखाने में दोनों प्रत्याशी आगे

धनबाद का चुनाव दिलचस्प है, खर्च की सीमा के तय हो जाने और संपत्ति विरूपण कानून के बाद आमतौर पर होर्डिंग पोस्टर कम नजर आने लगे हैं। लेकिन धनबाद में ऐसा नहीं है। हर 50 मीटर की दूरी पर यहां होर्डिंग लगे दिखाई दे रहे हैं। इस मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों में एक दूसरे से आगे रहने की होड़ मची हुई है। कांग्रेस के होर्डिंग में प्रत्याशी अनुपमा सिंह और उनके पति अनूप सिंह की फोटो प्राथमिकता से लगी है। जबकि राष्ट्रीय नेताओं के फोटो ऊपर लगाए गए हैं। वहीं, भाजपा के होर्डिंग में केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो और उनकी गारंटी का जिक्र है। प्रत्याशी ढुल्लू महतो के फोटो उनके समर्थकों के लगाए गए बैनर और पोस्टर में ही नजर आते हैं। पूरा शहर प्रचार सामग्री से पटा नजर आया। इतने रांची और दूसरे शहरों में देखने को नहीं मिले।

दोनों ही विधायकों के क्षेत्र लोकसभा में नहीं

यह भी मजे की बात है कि चुनाव में उतरे बाघमारा विधानसभा के विधायक ढुल्लू महतो और कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह के पति अनूप सिंह का बेरमो विधानसभा क्षेत्र धनबाद लोकसभा क्षेत्र में शामिल नहीं है। दोनों के ही क्षेत्र गिरीडीह लोकसभा में आते हैं। यही वजह है कि स्थानीय निवासी का मुद्दा भी उठता है। हालांकि ढुल्लू का क्षेत्र धनबाद जिले का ही हिस्सा है पर अनूप सिंह का बेरमो बोकारो जिले में आता है। इसलिए महतो जोर शोर से खतियान का मामला उछाल रहे हैं। ढुल्लू ने झारखंड विकास मोर्चा से राजनीति शुरू की और विधायक बने बाद में भाजपा में आ गए और बाघमारा सीट से तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए। वहीं अनूप सिंह के पिता राजेंद्र प्रसाद सिंह कोयला मजदूर यूनियन से सालों जुड़े रहे और बेरमो से पांच बार कांग्रेस से विधायक रहे।

काली धूल की आंधी और ओबी के पहाड़ पहचान

कोल माफिया के लिए कुख्यात धनबाद शहर के चारों तरफ कोयला खदानें संचालित हैं। बस्तियों के बीच ओवर बर्डन के पहाड़ और काली धूल की आंधी यहां की पहचान है। झरिया सहित जिले में सबसे बड़ा कोयला बेल्ट होने के कारण हर जगह की स्थिति ऐसी ही है। सुभाष शेखर कहते हैं कि कोयला यहां की ताकत

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