दरअसल अदालत ने इस मामले के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जो वीडियो फुटेज कोर्ट में पेश किए गए, उनमें प्रदर्शनकारियों का आचरण साफ दिखाई देता है।
यह भी पढ़ेँः दिल्ली के स्कूलों में आज से लागू होगा ‘देशभक्ति पाठ्यक्रम’, सीएम अरविंद केजरीवाल करेंगे लॉन्च कोर्ट ने कहा कि, सरकार के साथ-साथ शहर में लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए दंगे सुनियोजित ढंग से कराए गए। कोर्ट ने ये भी कहा कि, CCTV कैमरों को नष्ट करना भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए एक पहले से की गई साजिश की पुष्टि करता है। ये इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि सैकड़ों दंगाइयों ने बेरहमी से पुलिस के एक दल पर लाठियों डंडों और बैट से हमला किया।
इब्राहिम नहीं जमानत देने से इनकार
मामले की सुनवाई को दौरान जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आरोपी मोहम्मद इब्राहिम के जमानत की अपील खारिज कर दी। इब्राहिम को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का इस्तेमाल सभ्य समाज के ताने-बाने को खतरे में डालने के लिए नहीं किया जा सकता है।
मामले की सुनवाई को दौरान जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आरोपी मोहम्मद इब्राहिम के जमानत की अपील खारिज कर दी। इब्राहिम को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का इस्तेमाल सभ्य समाज के ताने-बाने को खतरे में डालने के लिए नहीं किया जा सकता है।
यह भी पढ़ेँः Delhi Weather News Updates Today: दिल्ली में सुस्त हुई मानसून की रफ्तार, जानिए कब होगी बारिश बता दें कि इब्राहिम को CCTV क्लिप में भीड़ को तलवार से धमकाते हुए देखा गया था। उसके वकील ने तर्क दिया था कि रतन लाल की मौत तलवार से नहीं हुई थी, जैसा कि रिपोर्ट में उनकी चोटों को लेकर बताया गया था और आरोपी ने केवल अपनी और परिवार की रक्षा के लिए तलवार उठाई थी।
कोर्ट ने कहा कि निर्णायक सबूत जो कोर्ट को आरोपी की कैद को बढ़ाने की ओर झुकता है वो ये है कि उसके की ओर से लिए जा रहे हथियार गंभीर चोट या मौत का कारण बन सकता है और ये प्रथम दृष्टया एक खतरनाक हथियार है।