66 वर्षीय विनय कुमार सक्सेना दिल्ली के 22 वें उपराज्यपाल बनने जा रहे हैं। लेकिन इस अहम जिम्मेदारी के साथ ही दिल्ली के नए एलजी के सामने कई चुनौतियां पहले ही स्वागत करने के लिए खड़ी हैं। इन चुनौतियों को सामना करते हुए उन्हें अपनी काबलियत और केंद्र के भरोसे को भी कायम रखना होगा।
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केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच सामंजस्य बैठाना
बतौर एलजी विनय कुमार सक्सेना ऐसे समय में अपना पद भार संभाल रहे हैं, जब दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच कई मसलों पर मतभेद हैं। फिर चाहे वो दिल्ली के अधिकार की बात हो या फिर पुलिस से लेकर अन्य अधिकारियों को हक का सवाल, लगातार केंद्र और दिल्ली सरकार अपना-अपना पक्ष रखते आए हैं। ऐसे में विनय कुमार सक्सेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन दोनों के बीच तालमेल बैठाना है। नगर निगम के एकीकरण को सफल बनाना
नए एलजी के लिए नगर निगम के एकीकरण को सफल बनाने की बड़ी चुनौती भी होगी। क्योंकि दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगातार नगर निगम को मर्ज किए जाने को गलत बता रही है, जबकि केंद्र सरकार इसे जनता के हित में लिया गया फैसला बता रही है। अब सारा दारोमदार नए एलजी पर होगा, कि वे किस तरह एमसीडी के मर्जर को सफल बनाएं।
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केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच सामंजस्य बैठाना
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नए एलजी के लिए नगर निगम के एकीकरण को सफल बनाने की बड़ी चुनौती भी होगी। क्योंकि दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगातार नगर निगम को मर्ज किए जाने को गलत बता रही है, जबकि केंद्र सरकार इसे जनता के हित में लिया गया फैसला बता रही है। अब सारा दारोमदार नए एलजी पर होगा, कि वे किस तरह एमसीडी के मर्जर को सफल बनाएं।
मास्टर प्लान 241 पर फोकस
दिल्ली विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष होने के नाते उपराज्यपाल को इससे जुड़े मसलों पर भी फोकस करना होगा। ऐसे में नवनियुक्त उपराज्यपाल को दिल्ली के मास्टर प्लान 241 पर भी काफी ध्यान देना होगा। इस प्लान को अंतिम रूप देने की पूरी जिम्मेदारी एलजी के कंधों पर ही होगी।
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