याचिका में जताई थी बच्चों, कर्मचारियों के हित की सुरक्षा
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा, एक शिकायत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। फीडबैक के आधार पर योजना की समीक्षा और इस पर अमल होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने पहले कहा था कि पर्याप्त और समय पर उपाय करने में अधिकारियों की विफलता ने इन शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों, शिक्षकों, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
अर्पित भार्गव ने हाई कोर्ट में डाली याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट में एडवोकेट अर्पित भार्गव (Advocate Arpit Bhargava) द्वारा ने दिल्ली सरकार द्वारा स्कूलों में बम धमकियों को रोकने या निपटने में विफलता को लेकर याचिका डाला था। याचिका में स्कूलों को लगातार मिल रही बम धमकियों को रोकने या निपटने में विफलता पर चिंता व्यक्त की गई थी।
14 नवंबर को हाई कोर्ट ने दिया था ये आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव नरुला (Delhi High Court Justice Sanjeev Narula) ने 14 नवंबर 2024 को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि इस तरह के खतरों से निपटने के लिए जारी एसओपी में सभी स्टेकहोल्डर्स की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए, जिनमें लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियां, स्कूल मैनेजमेंट और दिल्ली नगर निगम (MCD) के अधिकारी शामिल हों ताकि इनके बीच समन्वय और क्रियान्वयन में कोई बाधा ना आए। इसके साथ ही अदालत ने प्रभावित पक्षों और स्टेकहोल्डर्स की चिंताओं का समाधान करने के लिए एक शिकायत निवारण सिस्टम की स्थापना का भी आदेश दिया।
हाई कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि आधुनिक दुनिया में बम की धमकियों को पूरी तरह खत्म नहीं की जा सकती और ऐसी धमकियों से निपटने के लिए फुलप्रुफ सिस्टम की को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए एक फुलप्रूफ सिस्टम की उम्मीद करना व्यावहारिक नहीं है लेकिन सरकार को इन बदलती हुई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार जरूर रहना चाहिए। वहीं हाई कोर्ट ने यह माना है कि दिल्ली सरकार ने पहले से ही इस मामले में ड्राफ्ट एक्शन प्लान, स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर और स्टेटस रिपोर्ट जैसे कुछ कदम उठाए हैं। सरकार को इन प्लान को लेकिन विचार और विमर्श से आगे बढ़कर इन्हें क्रियान्वित कर देना चाहिए।