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मौत के 5 साल बाद पिता बनेगा यह शख्स, Delhi Highcourt का बड़ा फैसला, वजह जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

Delhi Highcourt: सेरोगेसी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल, एक मृत व्यक्ति के Sir Ganga Ram Hospital में फ्रीज कराए गए स्पर्म रखे थे।

नई दिल्लीOct 05, 2024 / 05:48 pm

Ashib Khan

delhi high court

Delhi Highcourt: सेरोगेसी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल, एक मृत व्यक्ति के सर गंगाराम हॉस्पिटल (Sir Ganga Ram Hospital) में फ्रीज कराए गए स्पर्म रखे थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अस्पताल को निर्देश दिया है कि वह एक मृत व्यक्ति के फ्रीज कराए गए स्पर्म को उसके माता-पिता को सौंपे, ताकि वे लोग सरोगेसी (surrogacy) के माध्यम से बच्चा पैदा कर सकें। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यदि स्पर्म या एग के मालिक (Owner Of Sperm Or Egg) की सहमति मिल जाए तो उसकी मौत के बाद भी बच्चा पैदा करने पर कोई रोक नहीं है। कोर्ट ने मृत व्यक्ति के पिता की अपील पर यह फैसला सुनाया है। बता दें कि मामला करीब 5 साल पुराना है।

परिवार को सौंपने को कहा स्पर्म

दरअसल, मृतक के पिता उनेक बेटे के शुक्राणु को लेना चाहते थे जिससे वह अपने वंश को आगे बढ़ात हुआ देख सकें। न्यायाधीश ने कहा कि माता-पिता के मरने के बाद कई सारे दादा-दादी अपने पोते-पोतियों का पालन करते हैं और यह एक आम बात है। हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में मृत व्यक्ति के स्पर्म को अस्पताल से रिलीज करने वाली याचिका पर जवाब मांगा था। यह याचिका मृत व्यक्ति के पैरेंट्स ने दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि सर गंगाराम अस्पताल की लैब में उनके बेटे के जमे हुए स्पर्म को रिलीज किया जाए जिसकी कैंसर के दौरान मौत हो गई थी। मृत व्यक्ति के पैरेंट्स ने अस्पताल से कांटेक्ट किया लेकिन अस्पताल ने ये कहते हुए मना कर दिया कि उनसे पास इसे रिलीज करने के कोई सरकारी आदेश नहीं है और वह इसे कोर्ट के ऑर्डर पर ही रिलीज कर सकते हैं। 

सरकार को मामले में दखल देने के लिए कहा

वहीं इससे पहले कोर्ट ने दिल्ली सरकार और सर गंगाराम हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने अस्पताल को निर्देश दिया कि वह सरोगेसी के लिए मृत व्यक्ति के जमे हुए स्पर्म उसके पैरेंट्स को दें। कोर्ट ने कहा कि जमे हुए स्पर्म को रिलीज न करने को लेकर कोई कानून नहीं है और आईसीएमआर गाइडलाइन और सेरोगेसी अधिनियम भी इस मुद्दे पर चुप हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार का इस फैसले के प्रति नजरिया बेहद जरूरी है।
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