दायर करना होगा हलफनामा
हाई कोर्ट ने कहा, ‘धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति का धर्मांतरण का सर्टिफिकेट उसकी स्थानीय भाषा में भी होना चाहिए। इससे वह व्यक्ति अपने लिए गए फैसले को अच्छी तरह से पढ़ व समझ सके। स्थानीय भाषा में उसको समझने में कोई दिक्कत नहीं होगी।’ साथ ही अदालत ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को धर्मांतरण के बाद अंतर-धार्मिक विवाह के वक्त दोनों पक्षों की उम्र, वैवाहिक इतिहास को लेकर हलफनामा मिलना चाहिए। हालांकि, विशेष विवाह अधिनियम के तहत होने वाली शादियों में इस प्रावधान में छूट होगी। साथ ही एक हलफनामा इसे लेकर भी दायर किया जाना जरूरी है कि यह धर्मांतरण व्यक्ति की अपनी मर्जी से हो रहा है।
स्थानीय भाषा में ही हो धर्मांतरण और विवाह का सर्टिफिकेट
विवाह के प्रमाणपत्र और धर्मांतरण स्थानीय भाषाओं में होने चाहिए। धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति की जो भाषा होगी उसी भाषा को प्रयोग करना अनिवार्य है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि विवाह और धर्मांतरण का सर्टिफिकेट स्थानीय भाषा में भी होना चाहिए।
मूल धर्म में वापसी करने पर नहीं होगा लागू
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अपने मूल धर्म में वापस आने वाले व्यक्ति पर यह दिशानिर्देश लागू नहीं होगा। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि धर्म बदलने वाला शख्स अपने मूल धर्म के बारे में पहले से ही अच्छी तरह जानकारी रखता है।