बुढ़ापे में घर से वंचित करना ठीक नहीं
पति-पत्नी के बीच कानूनी विवाद की पृष्ठभूमि में कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अपीलकर्ता के बुज़ुर्ग ससुर के पास साझा घर का स्वामित्व है और उन्हें बुढ़ापे में उनके घर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इस मामले में महिला को बेघर नहीं छोड़ा गया बल्कि किराये का वैकल्पिक आवास उपलब्ध करवाया गया।
सहमति के बिना पत्नी के गहने गिरवी रखना गलत
तिरुवनंतपुरम केरल हाईकोर्ट ने पत्नी की सहमति के बिना उसके स्त्रीधन में मिले गहनों को गिरवी रखने को अमानत में खयानत का अपराध मानते हुए पति को छह माह के कारावास और पांच लाख रुपए के जुर्माने का उचित ठहराया है। जस्टिस ए.बदरुद्दीन ने कहा कि इस मामले में आपराधिक विश्वासघात (आइपीसी की धारा 406) के सभी तत्व साबित होते हैं। इस मामले में अपीलकर्ता पति की पत्नी को अपनी मां से आभूषण मिले थे जिसे उसने पति को लॉकर में रखने को दिए थे। पति ने गहने लॉकर में रखने के बजाय पत्नी की सहमति के बिना गोल्ड लोन कंपनी में गिरवी रखकर कर्ज ले लिया। पति ने सैशन कोर्ट के छह माह की सजा और पांच लाख रुपए के जुर्माने की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।