झूठा हलफनामा देने वालों की खैर नहीं
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने एक महिला और उसके सगे चाचा के आर्य समाज मंदिर में हुए विवाह को यह कहते हुए अमान्य करार दिया कि व्यक्ति ने झूठा हलफनामा देकर कहा था कि विवाह के समय वह अविवाहित था। पीठ ने विवाह की तस्वीरें देखीं और पाया कि जोड़े के अलावा पुजारी को छोडक़र कोई विवाह समारोह में मौजूद नहीं था। महिला के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ऐसी शादियों की वैधता और पवित्रता पूरी तरह संदिग्ध है। जिस तरह व्यक्ति ने आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र में खुद को अविवाहित बताया, वह स्पष्ट रूप से कानून के खिलाफ है। चूंकि विवाह झूठे हलफनामों के आधार पर हुआ, इसलिए कानून की नजर में इसका कोई महत्त्व नहीं है।
पहली पत्नी कानून के अनुसार कदम उठाए
महिला से विवाह करने वाले उसके चाचा पर महिला के पिता ने आरोप लगाया था कि वह उसे अपनी बेटी से मिलने से रोक रहा था। चाचा ने कोर्ट को बताया कि वह अपनी पहली पत्नी से तलाक लेना चाहता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवादों में व्यक्ति की पहली पत्नी कानून के अनुसार कदम उठा सकती है। उसकी शिकायत पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जा सकती है।