क्यों खतरनाक होता है वायु प्रदूषण
हवा में घुले पार्टिकुलेट मैटर (PM) 10 और उससे भी छोटे 2.5 माइक्रॉन्स के पाए जाते है। ये धूल, धुआं और धातुओं के मिश्रित कण हवा को जहरीला बनाते है। यह हवा में घुलने के बाद शरीर को काफी नुकसान पहुंचाते है। यह बहुत छोटे होते हैं और आसानी से शरीर में पहुंचकर खून में मिल जाते है।
सबसे पहले श्वसन तंत्र पर होता है अटैक
पार्टिकुलेट मैटर सबसे पहले श्वसन तंत्र पर हमला करता है। इसके बाद हमारी आंखों में खुजली और जलन, नाक में सूखापन और खुजली, गले में खराश, दमा या सांस लेने में परेशानी, अस्थमा, क्रोनिक ब्रोन्काइटिस, फेफड़े के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा किडनी के डैमेज का खतरा, लिवर के टिश्यू को नुकसान, कार्डियोवस्कुलर डिजीज के साथ साथ कैंसर का खतरा भी बन जाता है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड के नुकसान
प्रदूषित हवा में घुली कई जहरीली गैसें हमारे सेहत के लिए खतरनाक होती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इनमें से एक नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड है जिससे धुंध छा जाती है। पराली जलाने से लेकर गाड़ियों के फ्यूल और फैक्ट्रियों के धुएं से ये गैस निकलकर हवा में घुलती है। इसकी वजह से फेफड़े के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा स्किन कैंसर की समस्या भी पैदा करती है। यह नर्व्स को भी नुकसान पहूंचती है।
कॉर्बन मोनोऑक्साइड के साइड इफेक्ट्स
गैस वाहनों के फ्यूल से निकलने वाली कॉर्बन मोनोऑक्साइड गैस भी काफी खतरनाक होती है। इससे हमारी आंखों की रोशनी कम हो जाती है। इसके कणों के कारण नजर धुंधली होने लगती है। ये कण सांस के जरिये खून में पहुंचकर कई खतरनाक बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। सीने में तेज दर्द और सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
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कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करती है जहरीली हवा
विशेषज्ञों का कहना है कि जहरीली हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सभी आयु वर्ग के लोगों को कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें रक्तचाप में वृद्धि, शिशुओं में फेफड़ों का कम विकास, वयस्कों में फेफड़ों की पुरानी स्थिति, कैंसर, कम प्रतिरक्षा और अवसाद शामिल हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में भारत में मृत्यु के लिए वायु प्रदूषण शीर्ष जोखिम कारक था, जिससे अनुमानित 1.67 मिलियन लोगों की मौत हुई।