Delhi CM Oath: आतिशी इस दिन लेंगी दिल्ली CM पद की शपथ! ऐसा होगा समारोह
Delhi CM Oath Ceremony: आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी (Atishi Marlena) दिल्ली की कांग्रेस नेता शीला दीक्षित (Sheila Dixit) और BJP की सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के बाद तीसरी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगी।
Delhi CM Oath Ceremony: आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी मार्लेना (Atishi Marlena) दिल्ली की कांग्रेस नेता शीला दीक्षित (Sheila Dixit) और BJP की सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के बाद तीसरी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगी। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना (Delhi LG VK Saxena) ने दिल्ली के सीएम-पद के लिए शनिवार 21 सितंबर की तारीख प्रस्तावित की है। AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने 17 सितंबर को आधिकारिक रूप से अपने CM पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पार्टी ने आतिशी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया और उन्होंने LG के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया।
ऐसा होगा शपथ ग्रहण समारोह
आतिशी पार्टी के शेष कार्यकाल के लिए सरकार का नेतृत्व करेंगी। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने संकेत दिया कि आतिशी का शपथ समारोह राजभवन निवास में आयोजित होने की संभावना है। शपथ ग्रहण समारोह ‘सादा’ रहने की उम्मीद है। एलजी सचिवालय के एक सूत्र के अनुसार, वी.के. सक्सेना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे एक आधिकारिक नोट में 21 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के शपथ ग्रहण की तिथि प्रस्तावित की है। सूत्र ने उल्लेख किया कि निवर्तमान सीएम केजरीवाल का इस्तीफा पत्र भी राष्ट्रपति मुर्मू को भेजा गया है। यह ताजा घटनाक्रम आतिशी द्वारा एलजी सक्सेना के साथ बैठक के दौरान नई सरकार बनाने का दावा पेश करने के ठीक एक दिन बाद हुआ है।
AAP ने बुलाया विधानसभा का सत्र
खबरों के मुताबिक कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से आप विधायक आतिशी सीएम का पदभार संभालने के बाद, 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करेंगी। AAP सरकार ने 26-27 सितंबर को विधानसभा का सत्र बुलाया है। विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 23 फरवरी को समाप्त होगा। चुनाव भी फरवरी के प्रारंभ में होने की संभावना है। दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल को 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी। हालांकि, आप संयोजक को एलजी वी.के. सक्सेना की सहमति के बिना अपने कार्यालय या दिल्ली सचिवालय जाने या फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोक दिया गया था।