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Delhi Air Pollution: राहत के लिए करें ये 7 उपाय, ग्रैप-4 लागू होने से छोटे उद्योगों के उत्पादन पर असर

Delhi Air Pollution: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद एनसीआर में लगाए गए प्रतिबंधों के कारण दिल्ली और आसपास के राज्यों में 34 लाख लघु, छोटे और मंझोले उद्योगों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है।

नई दिल्लीNov 20, 2024 / 08:37 am

Shaitan Prajapat

Delhi Air Pollution

Delhi Air Pollution: बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सु्प्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद एनसीआर में लगाए गए प्रतिबंधों के कारण दिल्ली और आसपास के राज्यों में 34 लाख लघु, छोटे और मंझोले उद्योगों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। स्वास्थ्य पर भी इसका दुष्प्रभाव सामने आने लगा है। दिल्ली सरकार ने अस्पतालों को निर्देश दिया कि सांस संबंधी बीमारियों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की विशेष टीम बनाकर प्रदूषण की वजह से बीमार पड़ रहे लोगों की विशेष निगरानी करें और प्रतिदिन रिपोर्ट फाइल करें। हालांकि, मौसम विभाग ने कहा कि मंगलवार को हवा का रुख के साथ स्मॉग का लेयर उत्तरी राज्यों की ओर मुड़ जाने के कारण दिल्ली में थोड़ी राहत महसूस की गई। फिर भी आगरा और दक्षिणी दिल्ली में विजिब्लिटी शून्य रही।

क्या हैं प्रमुख वजह

-वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों में गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुआं, औद्योगिक धुआं और आसपास के राज्यों में किसानों के पराली जलाने से निकलने वाला धुआं और निर्माण कार्यों के दौरान उठने वाले धूल-कण शामिल हैं।
-ऐसा नहीं है कि प्रदूषण के जिम्मेदार कारक सिर्फ सर्दियों में निकलते हैं। दरअसल गर्मियों में हवा के गर्म होने से प्रदूषण के जहरीले कण हवा के साथ ऊपर चले जाते हैं जो सर्दियों में निचली तरह पर जमे रहते हैं।

क्यों नहीं मिल रही सफलता

राजनीति ज्यादा, उपाय कम
-वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों से ज्यादा राजनीति होने लगती है। इस बार भी दिल्ली के पर्यावरण मंंत्री गोपाल राय ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाए तो भाजपा ने दिल्ली सरकार पर नाकामी का ठीकरा फोड़ते हुए मास्क बांटे।
-वायु प्रदूषण रोकने के लिए ग्रैप प्रतिबंध लगाने जैसे उपाय सिर्फ फौरी राहत दे सकते हैं। इससे कोई स्थाई समाधान नहीं होता। हर साल सड़कों पर गाड़ियां बढ़ जाती है। विकास कार्यों के साथ आबादी का दबाव भी महानगरों में बढ़ता है।
-प्रदूषण से बचाने के स्थाई उपायों जैसे हरियाली बढ़ाना, ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना, उद्योगों को विकेंद्रित करना, आबादी के घनत्व को कम करना, जैसे कारगर उपायों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
-हर साल नवंबर से जनवरी तक प्रदूषण पर हंगामा मचता है और शासन-प्रशासन तैयारी करता दिखता है, लेकिन कुछ दिनों में हवा का रूख बदलने या तेज हवा के कारण थोड़ी राहत मिलते ही सबकुछ पहले जैसा हो जाता है।
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