यही वजह रही कि शुक्रवार को एयर इंडेक्स भी इस सीजन का सर्वाधिक दर्ज किया गया। पीएम 2.5 में पराली के धुएं की मात्रा भी बढ़कर 35 प्रतिशत हो गई है। सफर के मुताबिक शनिवार को स्थिति और खराब रहने के आसार हैं। यही वजह है कि हेल्थ इमरजेंसी के हालात बने हुए हैं।
यह भी पढ़ेँः Delhi-NCR के 43 फीसदी लोगों ने माना, परिवार में या करीबियों को हुआ डेंगू’ प्रदूषण के खतरनाक स्तर से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही है। कई स्थानों पर दृश्यता महज 200 मीटर तक रह गई।
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट देखी जा रही है यानी हवा और ज्यादा जहरीली हो रही है। रात 1:30 बजे के करीब दिल्ली का ओवरऑल एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI बेहद गंभीर श्रेणी में रहा. SAFAR ने AQI 499 दर्ज किया। दिल्ली ने अपना 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शुक्रवार शाम 4 बजे 471 दर्ज किया, जो गुरुवार को 411 था।
नोएडा का AQI 750 के पार पहुंच गया है, सुबह 4:00 बजे 772 दर्ज किया गया। इन इलाकों में हालात खराब
दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों की बात करें तो दिल्ली विश्वविद्यालय और मथुरा रोड के आसपास की हवा सबसे अधिक खराब रही। DU का एयर क्वालिटी इंडेक्स 578 और मथुरा रोड के आसपास का एयर क्वालिटी इंडेक्स 557 दर्ज किया गया। पॉल्यूशन की वजह से विजिबिलिटी पर भी असर पड़ा है. हवा में स्मॉग की मोटी चादरें दिखाई दे रही हैं. कुतुब मीनार, लोटस टैंपल, अक्षरधाम मंदिर के आसपास के इलाकों में स्मॉग और लो विजिबिलिटी दर्ज की गई।
दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों की बात करें तो दिल्ली विश्वविद्यालय और मथुरा रोड के आसपास की हवा सबसे अधिक खराब रही। DU का एयर क्वालिटी इंडेक्स 578 और मथुरा रोड के आसपास का एयर क्वालिटी इंडेक्स 557 दर्ज किया गया। पॉल्यूशन की वजह से विजिबिलिटी पर भी असर पड़ा है. हवा में स्मॉग की मोटी चादरें दिखाई दे रही हैं. कुतुब मीनार, लोटस टैंपल, अक्षरधाम मंदिर के आसपास के इलाकों में स्मॉग और लो विजिबिलिटी दर्ज की गई।
हेल्थ इमरजेंसी के हालात
दरअसल जब AQI ‘गंभीर’ की श्रेणी में पहुंच जाता तो लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी जाती है। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों को बेहद जरूरी होने पर ही बाहर निकलने को कहा जाता है।
दरअसल जब AQI ‘गंभीर’ की श्रेणी में पहुंच जाता तो लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी जाती है। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों को बेहद जरूरी होने पर ही बाहर निकलने को कहा जाता है।
हवा में प्रदूषण स्तर पर पहुंचने से फेफड़ों और दिल के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। यही वजह है कि हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति बन जाती है। CPCB की सलाह, घरों से निकलने से बचें
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोगों को हिदायत दी है कि बेहद जरूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलें। इसके साथ ही सरकारी और निजी कंपनियों और दफ्तरों को यह सुझाव दिया गया है कि वाहनों के इस्तेमाल में 30 फीसदी की कटौती करें और कार पूलिंग और घर से ही काम करने के विकल्पों पर विचार करें।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लोगों को हिदायत दी है कि बेहद जरूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलें। इसके साथ ही सरकारी और निजी कंपनियों और दफ्तरों को यह सुझाव दिया गया है कि वाहनों के इस्तेमाल में 30 फीसदी की कटौती करें और कार पूलिंग और घर से ही काम करने के विकल्पों पर विचार करें।
दिल्ली में 18 नवंबर तक हवा में जहर घुला रहेगा और तापमान गिरने के चलते हवा की गुणवत्ता में और गिरावट आ सकती है। यह भी पढ़ेँः Delhi Air Pollution: राजधानी में गहरा रहा सांसों का संकट, AQI बजा रहा खतरे की घंटी, अगले दो दिन और बढ़ेगी मुश्किल
35 फीसदी हुई पराली के धुएं की हिस्सेदारी
पिछले 24 घंटे के दौरान हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के चार हजार से भी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत पहुंच गई।
पिछले 24 घंटे के दौरान हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के चार हजार से भी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत पहुंच गई।