खरीद में बड़ा हिस्सा आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी विक्रेताओं का होगा। परिषद ने स्टार्ट-अप और एमएसएमई से उन्नत प्रौद्योगिकियों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 में संशोधन के प्रस्ताव पर भी मुहर लगाई। इन प्रस्तावों को अंतिम मंजूरी के लिए रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के समक्ष पेश किए जाने की उम्मीद है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई परिषद की बैठक में थल सेना, वायुसेना, नौसेना के साथ तटरक्षक बलों के प्रस्तावों पर ‘आवश्यकताओं की स्वीकृति’ (एओएन) मंजूर की गई। जल, थल, नभ में सामरिक ताकत बढ़ाने वाले फैसले के तहत हवा में उड़ रहे विमानों में ईंधन भरने वाले जहाजों, पनडुब्बियों की ताकत बढ़ाने वाले हैवीवेट टारपीडो और मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री को मजबूत करने वाले भूकंपीय सेंसर और दूर से ही बारूदी सुरंगों को निष्क्रिय करने में सक्षम एंटी-टैंक माइंस खरीदी जाएंगी। एयर डिफेंस टेक्टिकल कंट्रोल रडार और समुद्र की निगरानी करने वाले विमान खरीदने के प्रस्ताव भी मंजूर किए गए।
नौसेना और तटरक्षक बल की ताकत के साथ समुद्र में सतर्कता बढ़ाने के लिए मध्यम दूरी के समुद्री टोही व बहुउद्देश्यीय समुद्री विमानों की खरीद को मंजूरी दी गई। नौ समुद्री निगरानी विमान नौसेना, जबकि छह तटरक्षक बल के लिए खरीदे जाएंगे। इनका निर्माण सी-295 परिवहन विमान कारखाने में होगा। नौसेना के जहाजों को खतरों से बचाने व हमलावर पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए एक्टिव टोड एरे सोनार तथा कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों की मारक क्षमताओं में वृद्धि के लिए हैवीवेट टॉरपीडो की खरीद को मंजूरी दी गई।
तटरक्षक बल की जरूरत के अनुसार सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो लिया जाएगा। इससे तटरक्षक और भारतीय नौसेना इकाइयों के बीच सुरक्षित नेटवर्किंग क्षमता के साथ निर्बाध सूचना आदान-प्रदान हो सकेगा। भारतीय थल सेना की मैकेनाइज्ड इन्फ्रेंट्री को और अधिक मारक बनाने के लिए कैनिस्टर लॉन्च्ड एंटी-आर्मर लोइटर म्यूनिशन सिस्टम खरीदा जाएगा। इससे युद्ध क्षेत्र में नजर में नहीं आ सकने वाले लक्ष्यों को भी भेदा जा सकता है। सिसमिक सेंसर वाली नई पीढ़ी की एंटी टैंक माइंस खरीदने का प्रस्ताव है। इनमें युद्ध के मैदान में बिछी बारूदी सुरंगों को दूर से ही निष्क्रिय करने की क्षमता होगी।
वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए वायु रक्षा टेक्टिकल कंट्रोल रडार खरीदने का प्रस्ताव है। इनकी मदद से आकार में छोटे, धीमी गति से कम ऊंचाई पर उडऩे वाले एरियल टार्गेट्स का पता लगाया जा सकेगा। वायुसेना की परिचालन क्षमता बढ़ाने के लिए उड़ते विमानों में आकाश में ही ईंधन भरने वाले परिवहन विमान खरीदे जाएंगे।