यह आसान टारगेट
हमलावरों के लिए सबसे आसान टारगेट शिक्षा, आइटी और परिवहन क्षेत्र हैं। भारत डीडीओएस अटैक में दुनिया में 5वें स्थान पर है। इनमें हमलावर, यूजर्स को कनेक्टेड ऑनलाइन सेवाओं और साइट्स तक पहुंचने से रोकने के लिए सर्वर पर इंटरनेट ट्रैफिक भर देता है।
हमलों में चैटजीपीटी आदि का इस्तेमाल
साइबर अपराधी चैटजीपीटी जैसी तकनीक का सहारा लेते हैं। जिससे एक ही मेल को कई तरीके से लिखकर या अन्य बदलाव कर भेज सके। सिंथेटिक इमेजेस (ऐसी फोटो जो कैमरा से न लेकर कम्प्यूटर से तैयार की गई हो) को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए भी साइबर अपराधी एआइ को हथियार बना रहे हैं।
पहचान छिपाने के तरीके भी अपना रहे
दुनियाभर के संगठनों ने सितंबर, 2022 के बाद से मानव-संचालित रैंसमवेयर हमलों में 200 प्रतिशत की वृद्धि देखी। यह आमतौर पर फिरौती की मांग के साथ किसी एक डिवाइस की बजाय पूरे संगठन को निशाना बनाते हैं। अब रिमोट एन्क्रिप्शन के साथ क्लाउड- आधारित टूल का उपयोग करके हमलावर पहचान छिपा रहे हैं।