ऐसे करता है फेक वॉइस की पहचान
इस सॉफ्टवेयर को एल्गोरिदम और मशीन लर्निंग तकनीकों से विकसित किया गया है। यह टूल रिकॉर्डिंग में ध्वनि तरंगों, पिच, इमोशन्स, आवृत्ति और अन्य तकनीकी मापदंडों का गहन विश्लेषण करता है। किसी भी प्रकार की असामान्यता या छेड़छाड़ होने पर यह तुरंत अलर्ट करता है।सुरक्षा एजेंसियों को मिलेगा बड़ा लाभ
देशभर की सुरक्षा एजेंसियां इस टूल को अपनाने की योजना बना रही हैं। यह एआइ टूल न केवल अपराधों की जांच को तेज करेगा, बल्कि मासूम लोगों को फंसने से भी बचाएगा। वर्तमान में इस टूल का उपयोग कानूनी प्रक्रिया को सटीक और पारदर्शी बनाने में किया जा रहा है। यह भी पढ़ें
MahaKumbh Mela 2025: महाकुंभ का आज शुभारंभ, 144 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, दुनियाभर में आएंगे 40 करोड़ श्रदालु
ध्वनि तरंगों से फेक वॉइस की पहचान
यह सॉफ्टवेयर नकली आवाज को तुरंत पहचान सकता है। ध्वनि तरंगों के गहन विश्लेषण से असली और नकली की पहचान होती है। यह तकनीक भविष्य में साइबर अपराधों को रोकने में अहम भूमिका निभाएगी।-प्रो. (डॉ.) सतीश कुमार, निदेशक, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी
Hindi News / National News / Cyber Crime: अब फेक वॉइस सुनाकर ठगी नहीं कर सकेंगे अपराधी, फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी ने तैयार किया सॉफ्टवेयर, जानिए कैसे करता है काम