देश में बढ़ते साइबर अपराध और डिजिटल अरेस्ट के मामलों को रोकने के लिए गृह मंत्रालय ने बुधवार को एक हाई लेवल कमेटी गठित की है। गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा सचिव इस कमेटी को मॉनिटर कर रहे हैं। गृह मंत्रालय के 14सी विंग ने सभी राज्यों की पुलिस से संपर्क भी किया है। मंत्रालय का 14सी विंग डिजिटल अरेस्ट पर केस-टू-केस मॉनिटर करेगा। खासकर डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर लगाम लगाने लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए गए हैं।
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समाधान नहीं खोजा तो लोग हो जाएंगे असहाय
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ भारत में साइबर हमलों के मामलों में वृद्धि पर चिंता जताते हुए इस समस्या से निपटने के लिए मजबूत उपायों की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। प्रहार की ‘द इनविजिबल हैंड’ नामक रिपोर्ट जारी करने के अवसर पर साइबर विशेषज्ञों ने कहा कि अगर इसका समाधान नहीं खोजा गया तो भारत के लोग असहाय हो जाएंगे। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ को लेकर सजग रहने की नसीहत दी थी। साथ ही उन्होंने साइबर फ्रॉड से बचने के लिए ‘रुको-सोचो-एक्शन लो’ का मंत्र भी दिया था।हरकत में सरकारः
डिजिटल अरेस्ट के छह हजार से ज्यादा मामले
- रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में देश में 7.9 करोड़ से अधिक साइबर हमले किए गए। इस तरह के मामलों में में वैश्विक स्तर पर भारत तीसरे स्थान पर है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत की वृद्धि को हुई है।
- इस साल डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी 6,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई है। साइबर विंग ने अब तक छह लाख मोबाइल को ब्लॉक किया है। ये सभी फोन साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट में इस्तेमाल हुए थे।
- 14सी विंग ने अब तक 709 मोबाइल एप्लिकेशन को भी ब्लॉक किया है। साइबर फ्रॉड में शामिल एक लाख 10 हजार आइएमइआइ को ब्लॉक किया गया है। 3.25 लाख फेक बैंक को भी फ्रीज किया गया है।
चल रहा है वैश्विक अभियानः
सबसे बड़े मैलवेयर प्लेटफॉर्म का सर्वर बंद
- यूरोपीय संघ ने कहा कि लाखों लोगों को निशाना बनाने वाले दुनिया के सबसे बड़े मैलवेयर प्लेटफॉर्म में से एक के सर्वर को बंद कर दिया गया है। यह दर्जनों देशों में 1,200 से अधिक सर्वर मैलवेयर चला रहा था।
- साइबर फ्रॉड कंपनियों ने इस मैलवेयर संक्रमित डिवाइस से डेटा चुराया। चुराए गए डेटा में नाम, पासवर्ड, पते, ईमेल पते और क्रिप्टो-करेंसी वॉलेट जैसे ऑटोमेटिक रूप से सहेजे गए डेटा भी शामिल हैं।
- अधिकारियों ने बताया कि डेटा चुराने वालों ने ग्रे-मार्केट से अन्य अपराधियों को जानकारी बेच दी। डेटा खरीदने वालों ने इसका इस्तेमाल पैसे, क्रिप्टो-करेंसी चुराने और हैकिंग को अंजाम देने के लिए किया।
दो प्रकार के साइबर अपराधी
1- आर्थिक लाभ के लिए या किसी किस्म का अवरोध उत्पन्न करने के लिए सिस्टम में कमजोरियों का फायदा उठाने वाले परंपरागत जालसाज, जो छोटी-मोटी हेराफेरी करते हैं।2- ज्यादा शातिर अपराधी जो लोगों को धमकियों के माध्यम से उन्हें राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए बाध्य करते हैं। अवैध सट्टेबाजी ऐप पर इसकी आशंका ज्यादा है।