ऑक्सफोर्ड ने किया था ये दावा
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं सहित अन्य ने कहा कि यह अनुमान भारत में कोविड-19 से हुई मौतों के आधिकारिक आंकड़ों से लगभग आठ गुना ज्यादा है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस अध्ययन के लेखकों ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के विश्लेषण के लिए मानक पद्धति का पालन करने का दावा किया है, लेकिन इस पद्धति में गंभीर खामियां हैं।
अध्ययन के निष्कर्षों को अस्वीकार
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन निष्कर्षों को अपुष्ट और अस्वीकार्य करार दिया है। मंत्रालय ने कहा है कि अध्ययन में उपयोग किए गए अनुमानों पर आधारित निष्कर्ष पूरी तरह भ्रामक हैं। मंत्रालय ने जनता को भरोसा दिलाया है कि आधिकारिक आंकड़े ही सटीक और विश्वसनीय हैं। मंत्रालय ने ऐसे अध्ययनों से सावधान रहने की सलाह दी है जो अपुष्ट आंकड़ों पर आधारित होते हैं।
‘कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां’
केंद्र ने अपने बयान में कहा गया कि सबसे महत्वपूर्ण त्रुटि यह है कि लेखकों ने जनवरी और अप्रैल 2021 के बीच एनएफएचएस में शामिल परिवारों के एक उपसमूह पर अध्ययन किया। 2020 में इन परिवारों में मृत्यु दर की तुलना 2019 से की जबकि परिणामों को पूरे देश के हिसाब से बताया है। इसमें कहा गया कि NFHS नमूना तभी देश का प्रतिनिधित्व करता है, जब इसे समग्र रूप से देखा जाता है।
महामारी के अलवा अन्य कारणों से भी हुई मौते
इसमें कहा गया है कि वर्ष 2018 और 2019 में मृत्यु पंजीकरण में क्रमशः 4.86 लाख और 6.90 लाख की समान वृद्धि हुई थी। इसमें कहा गया है कि सभी अतिरिक्त मौतें महामारी के कारण नहीं हैं और इसमें सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर शामिल हो सकती है। पद्धति में गंभीर खामियां हैं, क्योंकि यह अध्ययन जनवरी और अप्रैल 2021 के बीच एनएफएचएस सर्वेक्षण से 14 राज्यों के हिस्से के केवल 23 प्रतिशत परिवारों पर आधारित है। इसे देश का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता। इसने कहा कि अनुमानों की प्रकृति त्रुटिपूर्ण है।