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Covaxin की दोनों डोज सिम्टोमैटिक कोरोना मरीजों पर 50 फीसदी तक असरदार, स्टडी में दावा

लैंसेट की एक स्टडी में ये दावा किया गया है कि कोवैक्सीन के दोनों डोज सिम्पटोमेटिक कोरोना मरीजों पर 50 फीसदी ही असरदार हैं। दरअसल इससे पहले भी लैंसेट द लैंसेट में ही प्रकाशित एक अंतरिम अध्ययन के परिणामों से पता चला था कि कोवाक्सिन की दो खुराक जिसे BBV152 के रूप में भी जाना जाता है, रोगसूचक रोग के खिलाफ 77.8 फीसदी असरदार थी

Nov 24, 2021 / 09:52 am

धीरज शर्मा

Coronavirus In India
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus ) की तीसरी लहर ने भले ही देश में अब तक दस्तक ना दी हो, लेकिन इसका खतरा लगातार बना हुआ है। वहीं कोविड-19 से निपटने के लिए लगातार सरकार वैक्सीनेशन ( Corona Vaccination ) पर जोर दे रही है। इस बीच स्टडी में बड़ा दावा किया गया है। ये दावा भारत बायोटेक के देसी टीके Covaxin को लेकर किया गया है।
दावे के मुताबिक कोवाक्सिन की दोनों डोज कोरोना के सिम्टोमैटिक ( Symptomatic ) में 50 फीसदी तक प्रभावी है। यह दावा लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित भारतीय वैक्सीन के रियल वर्ल्ड एसेसमेंट में किया गया है।
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अगर आप भारत बायोटेक का देसी टीका कोवैक्सीन लगवा रहे हैं तो आपको बता दें कि लैंसेट की एक स्टडी में ये दावा किया गया है कि कोवैक्सीन के दोनों डोज सिम्पटोमेटिक कोरोना मरीजों पर 50 फीसदी ही असरदार हैं।
दरअसल इससे पहले भी लैंसेट द लैंसेट में ही प्रकाशित एक अंतरिम अध्ययन के परिणामों से पता चला था कि कोवाक्सिन की दो खुराक जिसे BBV152 के रूप में भी जाना जाता है, रोगसूचक रोग के खिलाफ 77.8 फीसदी असरदार थी। लेकिन अब भारत में किए गए अध्ययन ने इसे 50 फीसदी तक ही प्रभावी माना है।
15 अप्रैल से 15 मई के बीच एम्स में की गई स्टडी
लैसेंट की ये स्टडी 15 अप्रैल से 15 मई के बीच दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( AIIMS ) में की गई है। इस दौरान 2714 अस्पताल कर्मियों का शोध में शामिल कर उनका आकलन किया गया। ये सभी कर्मी सिम्पटोमेटिक थे।
2714 में से 1617 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे, जबकि 1097 कर्मचारियों में कोरोना नहीं मिला था।
अध्ययन में पाया गया कि आरटी-पीसीआर टेस्‍ट से 14 या अधिक दिन पहले कोरोना वैक्‍सीन की दूसरी डोज ले चुके लोगों में कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्रभावशीलता 50 फीसदी थी।
कोविड-19 का पता लगाने के लिए इनका RT-PCR टेस्ट किया गया था। शोधकर्ताओं ने इस बात को भी ध्‍यान में रखा कि जिस दौरान यह शोध किया गया था, उस दौरान डेल्‍टा वेरिएंट भारत में सर्वाधिक फैला हुआ कोरोना वेरिएंट था।
शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि स्टडी के दौरान यह भी बात सामने आई है कि डेल्टा वेरिएंट भारत में प्रमुख वेरिएंट था, जो सभी पुष्टि किए गए कोविड-19 मामलों में लगभग 80 फीसदी के लिए जिम्मेदार था।
एम्‍स में मेडिसिन के एडिशनल प्रोफेसर मनीष सोनेजा की मानें तो ‘अध्ययन इस बात को लेकर पूर्ण तस्वीर पेश करता है कि देश में कोरोना फैलने की स्थिति में Covaxin कैसा प्रदर्शन करती है।’
बता दें कि दिल्‍ली के एम्स में कोविड वैक्सीनेशन केंद्र में इस साल 16 जनवरी से वहां के 23 हजार कर्मचारियों को विशेष रूप से कोवैक्सिन लगाई गई है।

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WHO ने भी दी इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी
Covaxin हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (NIV-ICMR), पुणे के सहयोग से विकसित किया गया है। कोवैक्सीन को इसी महीने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ( WHO ) ने आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है।
कोवैक्सिन की दोनों डोज 28 दिन के अंतराल में दी जाती है. इसी साल जनवरी में कोवैक्सिन को भारत में 18 साल से ऊपर के लोगों में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई थी।

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