बीते 24 घंटों में परीक्षण किए गए केवल 5079 सैंपल्स में से दिल्ली में कोरोना वायरस के 137 नए केस सामने आए हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह पॉजिटिविटी रेट मामलों में एक और उछाल का संकेत देता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो जब तक अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में कमी है, तब तक चिंता की कोई बात नहीं है।
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गुजरात में डरा रहा कोरोना
कोरोना वायरस के नए मामलों की बात करें तो गुजरात से डराने वाला आकंड़ा सामने आया है। यहां 4 से 10 अप्रैल के बीच कोविड-19 के 115 मामले सामने आए हैं। ये बीते हफ्ते के मुकाबले 89 फीसदी ज्याद है।
क्या बोले एक्सपर्ट
एम्स के डॉ. नीरज निश्चल के मुताबिक वायरस अभी भी वातावरण में मौजूद है। इसलिए हम इसके कारण होने वाले संक्रमणों को देख पा रहे हैं। अगर कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर कम रहती है, तो यह बिल्कुल भी चिंता का कारण नहीं होना चाहिए।
तब और बढ़ेगी चिंता
राजधानी में कोरोना की सकारात्मकता दर में वृद्धि पर डॉक्टरों ने कहा कि मामले बढ़ सकते हैं, लेकिन यह तब तक चिंता का विषय नहीं होना चाहिए, जब तक अस्पताल में भर्जी होने वाले मरीजों की संख्या नहीं बढ़ती है। हालांकि, पिछले एक सप्ताह में एम्स अस्पताल में कोरोना के मरीजों के एडमिट होने की संख्या में कोई बड़ी वृद्धि नहीं हुई है।
दिल्ली सरकार द्वारा साझा किए गए हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, वर्तमान में कुल 9745 बेडों में से केवल 47 (0.48%) बेडों पर कोरोना मरीज हैं। इनमें कलावती सरन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में 11, राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आठ, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में छह और लोक नायक अस्पताल में चार मरीज शामिल हैं।
कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने कहा कि कुछ रोगियों को अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उनमें कोरोना पाया गया।