सोमवार को नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल ने वैक्सीन लेने के बाद रक्त का थक्का जमने की वजह से एक मरीज की मौत होने की पुष्टि की है। जबकि छह मरीजों का अब भी इलाज जारी है।
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गंगाराम अस्पताल के मुताबिक कोविड वैक्सीन के जरिए इन मरीजों में थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (वीआईटीटी) नामक परेशानी देखने को मिली जो रक्त का थक्का जमने के बाद देखने को मिलती है।
गंगाराम अस्पताल के मुताबिक कोविड वैक्सीन के जरिए इन मरीजों में थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (वीआईटीटी) नामक परेशानी देखने को मिली जो रक्त का थक्का जमने के बाद देखने को मिलती है।
अस्पताल के मुताबिक इस समस्या से ग्रसित कुल सात मरीजों का इलाज किया जा रहा था, इनमें से एक की मौत हो गई है जबकि 6 का इलाज अभी जारी है। 7 में से 5 केस केरल से
डॉक्टरों के मुताबिक वीआईटीटी के सात मरीजों में से पांच अकेले केरल से हैं। केरल से ही जांच के लिए सैंपल कुरियर के जरिए दिल्ली आए थे। वहीं दिल्ली निवासी एक मरीज को धौलाकुआं स्थित सैन्य अस्पताल से रैफर करके भेजा गया था लेकिन मरीज की हालत नाजुक होने की वजह से बचाया नहीं जा सका।
डॉक्टरों के मुताबिक वीआईटीटी के सात मरीजों में से पांच अकेले केरल से हैं। केरल से ही जांच के लिए सैंपल कुरियर के जरिए दिल्ली आए थे। वहीं दिल्ली निवासी एक मरीज को धौलाकुआं स्थित सैन्य अस्पताल से रैफर करके भेजा गया था लेकिन मरीज की हालत नाजुक होने की वजह से बचाया नहीं जा सका।
हॉस्पिलट की सीनियर डॉक्टर ज्योति कोतवाल ने इन सभी रोगियों पर चिकित्सीय अध्ययन भी किया है। उनके इस अध्ययन को इंडियन जर्नल इंडियन जर्नल ऑफ हेमटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन में 29 सितंबर को प्रकाशित भी किया गया।
डॉ. कोतवाल के मुताबिक इस वर्ष जून माह के दौरान ही उनके यहां पहला मामला दर्ज किया गया था, लेकिन उसके बाद केरल और दिल्ली से छह और मरीज उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती हुए।
इन देशों में देखे गए ये मामले
दरअसल अब तक ऐसे मामले डेनमार्क, यूके, जर्मनी और कनाडा जैसे देशों में देखने को मिल रहे थे। बीते 11 अगस्त को अमरीका में भी इसके लिए उपचार संबंधित दिशा निर्देश जारी किए गए।
दरअसल अब तक ऐसे मामले डेनमार्क, यूके, जर्मनी और कनाडा जैसे देशों में देखने को मिल रहे थे। बीते 11 अगस्त को अमरीका में भी इसके लिए उपचार संबंधित दिशा निर्देश जारी किए गए।
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डॉक्टरों की मानें तो वैक्सीन लेने के बाद तीन से 30 दिन यानी एक महीने में इसके लक्षण दिखाई देते हैं। दरअसल ये काफी दुर्लभ बीमारी है। वैक्सीनेशन को लेकर देखें तो एक लाख में से एक या फिर 1.27 लाख में से किसी एक व्यक्ति में ही इस तरह की परेशानी देखने को मिल सकती है।
डॉक्टरों की मानें तो वैक्सीन लेने के बाद तीन से 30 दिन यानी एक महीने में इसके लक्षण दिखाई देते हैं। दरअसल ये काफी दुर्लभ बीमारी है। वैक्सीनेशन को लेकर देखें तो एक लाख में से एक या फिर 1.27 लाख में से किसी एक व्यक्ति में ही इस तरह की परेशानी देखने को मिल सकती है।