भारत में कोरोना महामारी का टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। देश में करीब 16 प्रतिशत व्यस्कों का टीकाकरण पूरा हो चुका है। वहीं, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में कम टीकाकरण घातक साबित हो सकता है। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए कई राज्यों में अब भी 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में टीकाकरण के जो आंकड़े हैं, वह चिंता का सबब बनते जा रहे हैं।
तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण का आंकड़ा काफी कम है। ओआरएफ ने 27 अगस्त तक कोविड टीकाकरण के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर का पीक आ सकता है।
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देश में 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के प्रति एक हजार लोगों में से 947.13 लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। वहीं, तमिलनाडु में यह आंकड़ा 523.05 है। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा प्रति हजार पर 651.12 और पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा 853.48 है। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इस आयु वर्ग के लोगों की संख्या एक करोड़ से अधिक है। महाराष्ट्र में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 1.45 करोड़ है। हालांकि वहां ऐसे एक हजार लोगों में 951.12 खुराक दी जा चुकी है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से अधिक है। तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों में ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की संख्या अधिक है। ऐसे में टीकाकरण का औसत यदि नहीं बढ़ता है, तो कोविड की अगली लहर इन राज्यों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
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ओरआरएफ के अनुसार, 27 अगस्त तक 60 साल या उससे अधिक की 61.6 प्रतिशत जनसंख्या कम से कम एक खुराक ले चुकी है। वहीं 31.4 प्रतिशत लोग टीके की दोनों खुराक ले चुके हैं। यही नहीं, छोटे राज्यों की स्थिति ज्यादा अच्छी है। सिक्किम, मिजोरम, लक्ष्द्वीप, चंडीगढ़ और अंडमान-निकोबार जैसे छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में टीकाकरण के लिए 60 साल से अधिक उम्र के प्रति एक हजार लोगों का आंकड़ा ज्यादा बेहतर है। बुजुर्गों के लिए संपूर्ण टीकाकरण बेहद जरूरी है, क्योंकि इस उम्र के लोगों में दूसरी बीमारियां भी सबसे अधिक होती है। इससे ऐसे लोग संक्रमण की चपेट में आने के लिए लिहाज से बेहद संवेदनशील होते हैं। हालांकि, वैक्सीन कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित नहीं रख पाती, लेकिन ऐसा देखने में आया है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद गंभीर रूप से संक्रमण और उससे होने वाली मौत का खतरा कम हो जाता है।