आइक्रीम में मिली थी उंगलियां… Finger find in icecream: कुछ दिनों पहले एक रौंगटे खड़ा कर देने वाली घटना घटी। मुंबई के एक डॉक्टर ने आइसक्रीम ऑर्डर किया और खाते समय उनके दांतों के नीचे कट, कट की आवाज आई और उन्हें लगा कि आइसक्रीम में बादाम के टुकड़े आए हैं लेकिन जब उसने ध्यान से देखा तो पता लगा कि वह किसी व्यक्ति की उंगली थी। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वह गहरे सन्नाटे में चला गया होगा और भविष्य में आइसक्रीम खाने के नाम पर उसे घबराहट होगी। यह भी संभव है कि वह कभी आइसक्रीम ही ना खाए। उनके जिंदगी से आइसक्रीम का स्वाद छीनने वाली कंपनी के माफी मांग लेने से क्या सब ठीक हो जाएगा? हाल ही में एयर इंडिया की फ्लाइट में खाने में ब्लैड निकला (Blade find in Air India’s food) और जब उस व्यक्ति ने आपत्ति जताई तो उसे कंपनी की ओर से बिजनेस क्लास का सीट ऑफर किया गया? क्या किसी की जिंदगी से खिलवाड़ के बदले में कुछ लोभ या लाभ देकर बच जाना, कंपनी को और लापरवाह नहीं बनाएगा?
फूड प्रोसेसिंग से लेकर डिलीवरी तक लापरवाही ही…
लगभग हर रोज इस तरह की शिकायतें सामने आती रहती हैं। हम ऐसी घटनाओं को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तीखी प्रतिक्रिया देते हैं और फिर भूल जाते हैं। सरकार इन सब मसलों को बहुत गंभीरता से नहीं लेती हैं। पीड़ित उपभोक्ता अपनी शिकायत लेकर उपभोक्ता फोरम में जाता है तो लड़ाई में जीत के नाम पर उसके हाथ में कुछ हजार रुपए दोषी पाई जानेवाली कंपनियों से रखवा दिया जाता है। लेकिन क्या इतनी गंभीर बातों के लिए जिम्मेदार और करोड़ों और अरबों का मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के लिए इतना सा सबक काफी है?
लापरवाह कंपनियों का लाइसेंस रद्द हो
आप इस लेख में जिक्र हुए चारों घटनाओं को ध्यान से देखेंगे तो यह पता चलेगा कि आपराधिक किस्म की इन लापरवाहियों में फूड प्रॉसेसिंग कंपनियों से लेकर उसकी डिलीवरी तक करने वाली कंपनियां शामिल होती हैं। ऐसी लापरवाहियों को लेकर सरकार को आम जनता की शिकायत के लिए सस्ता और सुलभ संस्थान बनाना चाहिए जो इनको ठीक ढंग से एड्रेस कर सके। कंपनियों का लाइसेंस कुछ दिन से लेकर हफ्तों तक के लिए रद्द किया जाना चाहिए ताकि उन्हें यह समझ में आए कि आप उपभोक्ताओं की जिंदगी को खेल का मैदान ना समझें। (यह लेखक के निजी विचार हैं)