हारे तो ईवीएम गलत, जीत पर कुछ नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के बजाय कई चुनावी सुधारों के साथ बैलेट पेपर मतदान प्रणाली फिर शुरू करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में अब यह बहस की जगह नहीं है। याचिकाकर्ता की इस दलील पर कि आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और पूर्व सीएम वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ पर सवाल उठाए थे, जस्टिस विक्रम नाथ और पी.बी. वराले की पीठ ने कहा, ‘जब नायडू या रेड्डी हारते हैं तो कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई। जीतने पर कुछ नहीं कहते। इसे कैसे देखा जाए?’
परिवार के 32 वोट भी नहीं मिले प्रत्याशी को
एनसीपी (शरद पवार) के वरिष्ठ नेता जितेंद्र अव्हाड ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में एक परिवार में 32 वोट हैं। सभी लोगों ने परिवार के प्रत्याशी को वोट दिया। फिर भी जीरो वोट दिखाए गए। ऐसा कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा, हम अपनी हार के लिए कोई एक कारण नहीं मान सकते। मुझे तो यकीन नहीं होता कि लाड़की बहन योजना का इतना असर हो सकता है। अव्हाड ने कहा, जीते हुए विधायकों ने भी कहा कि कहीं न कहीं ईवीएम का बड़ा मसला है। इसके खिलाफ पूरे राज्य में आंदोलन खड़ा हो सकता है।
मल्लिकार्जुन खरगे का EVM पर सवाल
संविधान दिवस के मौके पर पार्टी के संविधान रक्षक सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाते हुए बैलेट पेपर से चुनाव की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मैं जो कहना चाह रहा हूं उसे हमारे विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी मानते हैं। जितनी भी शक्ति लगाकर एससी-एसटी, ओबीसी, गरीब तबके के लोग, छोटे समुदाय के लोग जो अपना वोट दे रहे हैं वो वोट फिजूल जा रहा है। हमको ईवीएम नहीं चाहिए। बैलेट पेपर से वोटिंग होनी चाहिए।